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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास 209 क्र० संवत् श्राविका नाम ई.पू. 26 | गृह श्री प्रेरक/प्रतिष्ठापक अवदान संदर्भ ग्रंथ । पृ. गच्छ / आचार्य प्रतिमा निर्माण आदि बुद्धदास की पुत्री तथा आर्यिका गोदासा की प्ररेणा से | आ. इंदु. अमि. | देवीदास की पत्नी थी। जिनप्रतिमा की प्रतिष्ठापना की | ग्रं. थी। वसु (रंगरेज) और नंदिन की पुत्री | भेंट देने का वर्णन प्राप्त होता | जै.सि.भा. एवं जंभक की पुत्रवधू वर्मा की पुत्री एवं जय दास की आर्यिका श्यामा की प्रेरणा से आ. इंदु. अभि. | 54 पत्नी थी। ऋषभदेव की प्रतिमा बनवाई 2 ई.पू. 32 जयभट्ट की पत्नी 3 ई.पू. 43 गदा थी। 4 ई.पू. प्रथमशती | लवदास की भार्या 5 | ई.पू. प्रथमशती | शिवघोषक की पत्नी 6 | ई.पू. प्रथमशती | अमोहिनी (कौत्स गौत्रवाली) 7 | ई.पू. प्रथमशती | गोपाली वैहदरी । (राजकन्या) 8 | ई. सन् 98. |दिना (दत्ता) 9 ई.पू. 100. धर्मसोमा 10 | ई. सन्. 108. |बोधिनंद। अर्हत् महावीर के सम्मान में पं.च.अ.ग्र. 500 कलापूर्ण आयागपट्ट प्रतिष्ठापित करवाया था। आयागपट्ट निर्मित किया (मध्य | पं.च.अ.ग्र. एवं में भ. पार्श्वनाथ बिराजमान है) स्टडीज इन जैना आर्ट. हारीती के पत्र पाल की पत्नी थी | आर्यावर्ती का चौकोर शिलापट्ट | जै.शि.सं.भा. 2 पालघोष, प्रोष्ठघोष, धनघोष तीन | स्थापित किया था। पुत्र हुए थे। पुत्र आसाढ़ सेन थे। दसवीं गुफा में काश्यप गोत्री |जै.शि.सं.भा. 2 | 12 अरिहंतो की प्रतिमा निर्मित करवाई थी। जयपाल, देवदास और नागदत्त आर्य संघसिंह के आदेश से जै.शि.सं.भा. 2 | 26 की माता थी। पुत्री का नाम एक विशाल वर्धमान प्रतिमा की नागदत्ता था। स्थापना की थी। सार्थवाह की पत्नी थी। आर्य मातृदत्त की प्रेरणा से जै.शि.सं.भा. 2 | 28 जिन प्रतिमा का दान किया था। गृहहस्ति की प्यारी पुत्री थी। दत्त शिष्य गृहप्रणिक की प्रेरणा | जै.शि.सं.भा. 2 से भ. वर्द्धमान की प्रकीर्ण प्रतिमा स्थापित करवाई थी। जय की माता थी। वच्छनीय कुल के गणि के जै.शि.सं.भा. 2 | 30 आदेश से सर्वतोभद्र प्रतिमा बनवाई थी। आर्य बलत्रात की शिष्या थी, एक विशाल वर्द्धमान प्रतिमा जै.शि.सं.भा. 2 | 30 शिवसेन देवसेन, शिवदेव की की स्थापना करवाई थी। माता थी.. नवहस्ति की पुत्री, गृहसेन की वधू थी। पसक की पत्नी थी आर्य खर्ण के आदेश से दान | जै.शि.सं.भा. 2 | 40 धर्म किया था। अर्हत् पूजा के निमित्त से एक | जै.शि.सं.भा. 2 | 14 देवकुल, एक कुंड, आयागपट्ट एवं आयागसभा का निर्माण कराया था। सेन की पुत्री दत्त की पुत्रवधू, प्रतिमा का दान दिया था। जै.सि.भा. गंधी व्यास की पत्नी थी। दमित्र और दत्ता की पुत्री थी। | धरणीवृद्धि आर्यिका की प्रेरणा | आ.इदु.अभि.ग्रं. से वर्द्धमान भगवान की प्रतिमा | स्थापित की थी। मासिगि 11 | ई. सन्.98 हुविष्क वर्ष 18. 12 | ई. सन्. 103. | जया हुविष्क वर्ष 25. 13 | ई. सन्. 138. | दत्ता हविष्क वर्ष 60. 14 | प्रथम शताब्दी | वसु 15 | सन् 26 जिनदासी 16 सन् 27 | कुटुम्बिनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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