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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
अध्याय-१
१.१ भारतीय परम्परा में नारी का स्थान
१.१.१ वैदिक कालीन भारतीय नारियाँ
(अ) परिवार व्यवस्था और नारी का स्थान । (ब) पत्नी के कर्त्तव्य । (क) वैवाहिक विधान और नारी (ख) नारी श्रेष्ठत्व में हास ।
१.१.२ स्रोत - सूत्रों में नारी
१.१.३ उपनिषदकाल में नारी
१.१.४ रामायणकाल में नारी
अ) कन्या की स्थिति (ब) रामायणकालीन शिक्षा और नारी । म) विवाह व्यवस्था और नारी (क) विवाह प्रकार और प्रणालियाँ ।
ख) एकाधिक पत्नीत्व प्रथा (ग) दाम्पत्य सम्बन्ध और विच्छेद |
घ) नारी का वधू रुप एवं पत्नी रूप (ड) पति के कर्तव्य पत्नी के प्रति ।
च) स्त्री अवमानना के विविध पक्ष ।
विषय सूची
१.१.५ महाभारतकालीन नारियाँ
१.१.६ स्मतिकाल में भारतीय नारी
१.१.७ पौराणिक काल की भारतीय नारियाँ एवं समाज में उनका स्थान
१.२ बुद्ध और महावीर कालीन नारियों का सामाजिक अवदान
१.२.१ बौद्ध धर्म में नारी
१.२.२ जैन धर्म में नारी
१.३ जैन धर्म की चतुर्विध संघ व्यवस्था
१.४ जैन धर्म का स्वरूप
१.४.१ संघ का महत्त्व
१.५ भ० महावीर का श्रमणी - संघ एवं श्राविका संघ
१.५.१ श्राविका शब्द की परिभाषा
१५२ श्राविका अभिप्राय एवं अन्य नाम
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