SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय सूची १.५.३ व्रत ग्रहण करने से : व्रती श्राविका १.५.४ श्रमणोपासिका : श्रमण धर्म की उपासिका १.५५ श्रमणोपासिका के अणुव्रती आदि अन्य नाम १.५.६ रत्न पिटारा १५.७ व्रत स्वीकरण क्यों आवश्यक १.५.८ व्रत का स्वरूप और भेद १.५.६ जैन आगम ग्रंथों में श्रावकाचार एवं श्राविकाचार १.५.१० द्वादश श्रावक - श्राविका व्रत १५.११ अहिंसा अणुव्रत १.५.१२ सत्य अणुव्रत १.५.१३ अस्तेय अणुव्रत १.५.१४ ब्रह्मचर्य अणुव्रत १.५.१५ अपरिग्रह अणुव्रत १.५.१६ दिशाव्रत अणुव्रत १.५.१७ उपभोग - परिभोग परिमाण व्रत १.५.१८ अनर्थदण्ड विरमण व्रत १.५.१६ सामायिक व्रत १.५.२० देशवकाशिक व्रत १.५.२१-२२ पौषध व्रत एवं अतिथिसंविभाग व्रत १५.२३संलेखना १.६ श्राविका की दैनिक चर्या १.७ आगम में श्राविका के अष्टमूल गुणों की चर्चा १.८ जैन धर्म में नारी जाति का अवदान : एक सामान्य विवेचन १.६ नारी का अवदानः एक समीक्षा १.१० नारी जाति के इतिहास की आधारभूत सामग्री १.११ भ० महावीर कालीन श्राविकाओं का जैन धर्म को अवदान १.१२ नारी जाति के इतिहास का काल विभाजन १.१३ साहित्यिक - स्रोत १.१४ आगम साहित्य एवं आगमिक व्याख्या साहित्य १.१५ चरित एवं कथा – काव्यों में श्राविकाएँ १.१६ पुराण साहित्य में श्राविकाओं का योगदान १.१७ प्रबंध साहित्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy