________________
जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
मैंने निम्नलिखित पुस्तकालयों का सहयोग ग्रहण किया है, जैसे: सरस्वती विद्या केन्द्र (नासिक), दिवाकर जैन पुस्तकालय (इंदौर), महावीर जैन सिद्धांत शाला (फरीदकोट), प्राच्य विद्यापीठ (शाजापुर) आदि । इसके अतिरिक्त दिल्ली के अनेक पुस्तकालयों जैसे बी.एल.आई.आई., अहिंसा भवन पुस्तकालय, विचक्षण जैन पुस्तकालय, आध्यात्मिक योग साधना केन्द्र का पुस्तकालय, महावीर जैन पुस्तकालय, जवाहरलाल नेहरू पुस्तकालय, नेशनल लाइब्रेरी, कुंदकुंद भारती विद्यापीठ, महासती कौशल्या देवी जैन पुस्तकालय आदि । इन सभी पुस्तकालयों के प्रति मैं हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ । पाद विहारी जैन साध्वी की मर्यादा होने से मुझसे समग्र पुस्तकालयों का निरीक्षण नहीं हो सका, और न ही अनेक विद्वानों से इस विषय पर विचार विमर्श करने का सुअवसर ही प्राप्त हो सका अतः क्षमाप्रार्थी हूँ ।
कृतज्ञता प्रकाश :
इस बृहद् कार्य को सम्पन्न करने के पीछे जैन धर्म संघ की पंजाब प्रवर्तिनी महासाध्वी पूज्या श्री केसरदेवी जी म. सा. की कृपा दृष्टि, अध्यात्मयोगिनी स्वनाम धन्या पूज्या श्री कौशल्यादेवी जी म.सा. का शुभाशीष व उनकी सुशिष्या जैन इतिहास चंद्रिका पूज्या सद्गुरुवर्या महासाध्वी डॉ. श्री विजय श्री जी म.सा. "आर्या" का प्रकाश पुंज वरदहस्त विद्यमान रहा। उनकी सद्प्रेरणा एवं सहयोग से ही यह असंभव कार्य सम्भव बन पाया है। मैं उनके चरणों में श्रद्धा सहित नमन करते हुए कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ। इस संपूर्ण शोध कार्य के निदेशक मृदु स्वभावी विद्ववर्य श्रीमान् डॉ. सागरमलजी जैन ने क्षेत्रगत दूरी होते हुए भी प्रयत्नपूर्वक इस कार्य को गति प्रदान की है, वे विद्वद्जगत् की एक देदिप्यमान् मणि हैं, उनकी मैं हृदय से आभारी हूँ। मेरी इस मनुष्य देह एवं धर्म-संस्कारों की जननी तपस्विनी सुश्राविका मम मातेश्वरी श्रीमती सुशीला बाई धोका की चिरकालीन भावनाएँ प्रस्तुत शोध प्रबंध के लिए संबल बनी हैं, उनके प्रति मैं हृदय से कृतज्ञ हूँ। शोध कार्य के विषय चयन हेतु प्रो. एन. डी. राणा का सहयोग रहा। डॉ. शशी जैन ने संपूर्ण मेटर देखकर यथावश्यक सुझाव प्रदान किये। साध्वी श्री प्रशंसा श्री जी म. सा. का भी सराहनीय सहयोग प्राप्त हुआ है। इन सबके प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट करती हूँ । इस ग्रन्थ के निर्माण में श्राविकाओं के वर्णन से सम्बन्धित शायद ही कोई कृति हो, जिसका सहयोग न लिया गया हो। इस प्रकार जिन सैंकडों पुस्तकों का सहयोग इसमें रहा है, मैं उन सभी रचनाओं तथा उनके लेखकों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता प्रकट करती हूँ। शोध कार्य की इस संपूर्ण सामग्री के कम्पोजिंग में जिनका आर्थिक सहयोग रहा वे है श्रीमान् स्वदेशभूषण जी जैन, श्रीमान् डी. के जैन (दिल्ली) श्रीमती प्रभा जैन (जम्मू), मेटर कम्पोजिंग में सहयोगी विपिन जैन जम्मू, संजीव जैन (दिल्ली) एवं श्रीमान् सुरेन्द्र जैन (अमृतसर) ने अथक परिश्रम के साथ पूर्ण संलग्नता पूर्वक इस कार्य को सम्पन्न करवाया है। श्री एस.एस. जैनसभा राणाप्रताप बाग दिल्ली के महामंत्री श्रीमान् वेद प्रकाशजी जैन ने परिश्रम पूर्वक प्रूफ संशोधन का कार्य संपन्न किया है। स्व-पर कल्याणकारी पूज्य निर्ग्रन्थ गुरुओं ने आशीर्वचनों के पुष्प बरसाकर मुझे उपकृत किया है तथा प्रस्तुत ग्रंथ को गौरवान्वित किया है। अतः इन सभी को साधुवाद देते हुए इनका हृदय से आभार प्रकट करती हूँ। समस्त प्रत्यक्ष एवं परोक्ष सहयोगी महानुभावों के प्रति भी हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ ।
अंत में समुद्र के समान अनेक विशाल जैन कृतियों में बूंद के समान इस छोटी सी कृति को सुज्ञ पाठकों को समर्पित करती हूँ। आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि सरस्वती पुत्रों द्वारा इसे अवश्य स्वीकार किया जाएगा। यद्यपि पूर्ण श्रम द्वारा इस कृति को प्रामाणिक बनाने का पूर्ण प्रयत्न किया गया है, तथापि संभव है कई त्रुटियाँ भी इसमें रह गई हों, किंतु उन्हें परिस्थिति जन्य विवशता मानकर पाठकगण मुझे क्षमा करेंगे। इन्हीं मंगल भावों के साथ :
Jain Education International
अर्हतोपासिकाः जैन साध्वी डॉ० प्रतिभा श्री " प्राची"
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org