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ऐतिहासिक काल की जैन श्राविकाएँ
३.६.३० वसुमती जी : वत्स नामक विजय की कौशाम्बी नगरी में जिनदत्त नामक संपत्तिशाली सेठ रहता था। उसकी पत्नी वसुमती थी तथा पुत्री थी प्रियदर्शना ।६३
३.६.३१ प्रियदर्शना जी : जिनदत्त सेठ एवं वसुमती की पुत्री थी। वह जिन धर्मरसिक थी। जिनधर्मानुयायी बंधुदत्त की पत्नी थी। उसके पुत्र का नाम "बांधवानंद' था।६४ कालांतर में उसने दीक्षा ली।
३.६.३२ मगांकलेखा जी : प्रियदर्शना की सखी थी।५
३.६.३३ श्रीमती देवी : भरतक्षेत्र के विध्यादि में शिखासन नामक भील जाति का राजा था, उनकी पत्नी का नाम श्रीमती था। श्रीमती ने अपने पति को सम्मुख आये सिंह की हिंसा करने से रोका। सिंह उन्हें मार कर खा गया, वे अपनी समाधि में तल्लीन रहे।६६
३.६.३४ कुरुमती जी : अपरविदेह में सुभूषण राजा की रानी थी, बसंतसेना उसकी पुत्री थी।६७ ३.६.३५ बालचंद्रा जी : अपरविदेह के चक्रपुरी के राजा कुरुमगांक की रानी थी। शबरमृगांक उसका पुत्र था। ६८
३.६.३६ बसंतसेना जी : कुरूमती और सुभूषण राजा की पुत्री थी। पति का नाम शबरमृगांक था। बसंतसेना के कारण जयपुर के वर्धनराजा और शबरमृगांक में युद्ध हुआ था। ६६ ३.७ तीर्थंकर भ० महावीर स्वामी से संबंधित श्राविकाएँ :
३.७.१ प्रियंगु जी : भरत क्षेत्र के राजगृह नगर में "विश्वनंदी" राजा की पत्नी थी। पुत्र का नाम विशाखानंदी था। ७० ३.७.२ धारिणी जी : विश्वनंदी राजा के छोटे भाई विशाखाभूति की रानी थी। विश्वभूति उसका पुत्र था।
३.७.३ भद्रा जी : पोतनपुर नगर के राजा 'रिपुप्रतिशत्रु' की रानी थी। वह पतिभक्ता, शीलवती और सुशीला थी। उसकी पुत्री का नाम मगावती था। पुत्र का नाम अचल था। ७२
३.७.४ मगावती देवी : पोतनपुर नगर के राजा "रिपुप्रतिशत्रु" की वह रानी थी। उसने सात स्वप्न देखे और त्रिपृष्ठ-कुमार वासुदेव को जन्म दिया। बालक की पीठ पर तीन बांस के चिन्ह देख कर उक्त नाम दिया गया।७३
३.७५ भद्रा जी : मंख जाति के "मंखली" नामक पुरुष की पत्नी थी। गोशालक उसका पुत्र था।७४
३०.६ विजया देवी : महारानी मृगावती की एक दासी थी, जिसने महारानी को भगवान महावीर द्वारा महामात्य की पत्नी नंदा के घर से आहार पानी लिये बिना ही लौटने की बात कही थी।
३.७.७ बंधुमती जी : चम्पा एवं राजगही के मध्य गोबर ग्राम के गोशंखी नामक अहीर की पत्नी थी। ७६
३.७.. शिका देवी : गोबर गांव के निकट खेटक नामक छोटा सा गांव था। उसमें 'वेशिका' नामक स्त्री रहती थी। उसका न तपस्वी पेशिकायन था।७७ __३० सुकोमला : प्रतिष्ठानपुर के राजा शालिवाहन की नर द्वेषिणी पुत्री थी। राजा विक्रमादित्य की रानी थी, जब वह गर्भवती श्री तर्भ ।ज्य कार्य वश राजा उसे छोड़कर उज्जयिनी चला गया था। रानी ने कालांतर में पुत्र देवकुमार को जन्म दिया। देवकुमार विकरित्र के निमित्त से राजा ने रानी को स्वीकार किया। रानी सुकोमला के सरल व्यवहार व निश्छल अंतःकरण से राजा भी प्रा (वेत हुआ ।
३.७.१० शुभमती जी : सौराष्ट्र देश के वल्लभीपुर के राजा महाबल और रानी वीरमती की पुत्री थी। वह धर्मनिष्ठा, विद्यावती और रूपवती थी। उसका विवाह राजा विक्रमादित्य के पुत्र विक्रमचरित्र के साथ संपन्न हुआ। शुभमती को एक किसान हरण कर ले गया। शुभमती ने अपने बुद्धिबल से माता-पिता, किसान आदि सबका मार्गदर्शन किया. सबको प्रभावित किया।७६
३.७.११ स्मिता जी : कुसुमपुर के राजा विमलसेन की पुत्री थी। स्मिता अनुपम सुंदरी और विलक्षण बुद्धिमती थी। राजकुमारी स्गिता से प्र' 'वित होकर राजा सूर्यसेन और महारानी ज्योत्स्ना के सुपुत्र राजकुमार कुमारसेन ने उससे विवाह किया। स्मिता ने
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