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साध्वी डॉ. प्रतिभा
19- सज्झायं कुव्वंतो पंचिंदियसंवुडो तिगुत्तो य। भवइ य एगग्गमणो विणएण समाहिओ भिक्खू।।
(प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 591) सज्झायं कुव्वंतो पंचिंदियसंवुडो तिगुत्तो य।। होइ य एगग्गमणो विणएण समाहिओ भिक्खू।।
(वीरभद्राचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 82) 20- एवं नाऊण तवं महागुणं संजमम्मि ठिच्चाणं। तवसा भावेयव्वो अप्पां णिच्चं पि जत्तेणं ।।
(प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 698) एवं नाऊण तवं महागुणं संजमम्मि ठिच्चाणं। तवसा भावेभव्वो, अप्पासइ अप्पमत्तेणं ।।
(वीरभद्राचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 21- कंदप्प देवकिदिवस अभिओगा आसुरी य सम्मोहा। एयाओ संकिलिट्ठा पंचविगप्पाओ पत्तेयं ।।
(प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 714) कंदप्प-देवकिदिवस-अभियोगा आसुरी य सम्मोहा। एसा उ संकिलिट्ठा पंचविहाभावणा भणिया।।
(वीरभद्राचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 122) 22- एयाओ भावणाओ भावित्ता देवदुग्गइं जंति। तत्तो वि चुया संता भमंति भवसायरमणंतं ।।
(प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 721) एयाहिं भावणाहिं भाविता देवदुग्गइं जंति। तत्तो चुया समाणा भमंति भवसायर मणंतं ।।
(वीरभद्राचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 123) 23- एवं संथारगयस्स तस्सकम्मोदएण खवयस्स। अंगे कत्थइ उट्ठिज्ज वेयणा झाणविग्घकरी।।
(प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 762) एवं संथारगयस्स तस्सकम्मोदएण जइ मुणिणो। अंगे कत्थइ उठ्ठिज्ज वेयणा झाणविग्घकरी।।
(वीरभद्राचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 719) 24- सुइपाणएण अणुसट्ठिभोयणेण य उवग्गहीएण। झाणोसहेण तिव्वा वि वेयणा तीरए सहिउं।।
(प्राचीनाचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 882) सुइपाणएण अणुसट्ठिमोयणेण य सया उवग्गहीओ। झाणो-सहेण तिव्वा वि वेयणा तीरए सोढुं ।।
(वीरभद्राचार्यविरचित आराधनापताका,गाथा 785)
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