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साध्वी डॉ. प्रतिभा
सकता है किन्तु अन्य साधारण परिस्थितियों में उसे मृत्युवरण करने का अधिकार नहीं है। निष्कर्ष के रूप में यही कहा जा सकता है कि समाधिमरण और ईसाई परम्परा का मृत्युवरण कुछ अर्थो में प्रक्रिया को लेकर भले ही भिन्न हो, लेकिन जहाँ तक भावनाओं और परिस्थितियों की बात है. दोनों में कुछ समानता भी है और इससे इन्कार भी नहीं किया जा सकता।
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