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उद्दिष्टभक्त - वर्जन - प्रतिमा (322); श्रमणभूत- प्रतिमा (323) ; क्षुल्लक
(323); ऐलक (323)।
अध्याय : 16
श्रमणधर्म
जैन - दर्शन में श्रमण - जीवन का स्थान (325) ; बौद्ध धर्म में श्रमणजीवन का स्थान (325); वैदिक - परम्परा में श्रमण -- जीवन का स्थान (325); जैन-धर्म में श्रमण का तात्पर्य (325) ; बौद्ध परम्परा में श्रमण का तात्पर्य (327); वैदिक-परम्परा में संन्यास - जीवन का तात्पर्य (327) ; जैन-धर्म
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श्रमण - जीवन के लिए आवश्यक योग्यताएँ (327); बौद्ध - परम्परा में श्रमणजीवन के लिए आवश्यक योग्यताएँ (329); वैदिक - परम्परा में संन्यास के लिए आवश्यक योग्यताएँ (329); जैन श्रमणों के प्रकार (329); वैदिकपरम्परा में संन्यासियों के प्रकार (330); जैन श्रमण के मूलगुण (330); पंचमहाव्रत (331); अहिंसा-महाव्रत (332); अहिंसा - महाव्रत के अपवाद (333); सत्य - महाव्रत (333); सत्य- महाव्रत के अपवाद (335) ; अस्तेय -महाव्रत (336); अस्तेय - महाव्रत के अपवाद (337) ; ब्रह्मचर्यमहाव्रत (337); ब्रह्मचर्यव्रत के अपवाद (339) ; अपरिग्रह - महाव्रत (340) ; अपरिग्रह - महाव्रत के अपवाद (342) रात्रि - भोजन- परित्याग (343) ; बौद्ध-प द- परम्परा और पंच महाव्रत (343) प्राणातिपात - विरमण (344) ; अदत्तादान- विरमण (344); अब्रह्मचर्य - विरमण (344); मृषावादविरमण (345) ; सुरामेरय - मद्यविरमण (346) ; विकालभोजनविरमण (346) ; नृत्य-गान - वादित्र - विरमण (346) ; माल्यगंध - धारणविलेपनविरमण (347); उच्चशय्या - महा - शय्याविरमण (347) ; जातरुपरजतविरमण (347); पंच यम और पंचमहाव्रत (349); गुप्ति एवं समिति (350), तीन गुप्तियाँ – मनोगुप्ति, वचनगुप्ति, कायगुप्ति ( 350 -351 ); बौद्ध - परम्परा और गुप्त (351) ; वैदिक परम्परा और गुप्ति ( 352 ) ; पाँच समितियाँ (352); ईर्या-समिति (353) ; भाषा - समिति (354); एषणा-समिति (354); भिक्षा के निषिद्ध स्थान ( 355 ); भिक्षा के हेतु जाने का निषिद्ध
(355) ; भिक्षा की गमनविधि ( 355 ); आदान- भाण्ड - निक्षेपणसमिति (355); मलमूत्रादि-प्रतिस्थापना समिति (356) ; परिहार के हेतु निषिद्ध स्थान (356); बौद्ध परम्परा और पाँच समितियाँ (356), वैदिकपरम्परा और पाँच समितियाँ (357) ; इन्द्रिय- संयम (358); बौद्ध एवं वैदिक-परम्परा में इन्द्रियनिग्रह (359) ; परीषह (359); बौद्ध परम्परा
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