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भारतीय आचारदर्शन एक तुलनात्मक अध्ययन
को लेकर कि 'नीतिशास्त्र का व्यावहारिक जीवन से क्या सम्बन्ध है', पाश्चात्य विचारकों के तीन दृष्टिकोण हैं
__ 1. विशुद्ध सैद्धान्तिक दृष्टिकोण- इस दृष्टिकोण के अनुसार नैतिक सिद्धान्तों के अध्ययन का हमारे व्यावहारिक जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं है। नैतिक सिद्धान्त मात्र व्याख्याएँ हैं, वे यह बताते हैं कि आदर्श के सम्बन्ध में मानवीय प्रकृति क्या है ? उसे कैसी होना चाहिए, इस बात से उसका कोई सम्बन्ध नहीं है। नैतिक नियम आदेश नहीं, मानवीय प्रकृति की आदर्श के सम्बन्ध में व्याख्या है। स्पिनोजा इस वर्ग के प्रमुख प्रतिनिधि हैं। आधुनिक विचारकों में बोसांके और ब्रैडले को भी इसी परम्परा का माना जाता है। आचारदर्शनकी सहज ज्ञानवादी परम्परा भी यह मानती है किशुभाशुभ का विवेक स्वत:हो जाता है, अत: आचारदर्शन का सैद्धान्तिक अध्ययन व्यावहारिक जीवन की दृष्टि से अधिक उपयोगी नहीं है।
2. विशुद्ध व्यावहारिक दृष्टिकोण- इसके अनुसार नैतिक विवेचनाओं का सीधा सम्बन्ध व्यावहारिक जीवन से ही है। पाश्चात्य-दर्शन में अरस्तू के पूर्ववर्ती सभी विचारक, स्टोइक, सुखवादी, उपयोगितावादी, विकासवादी आदि इसी वर्ग में आते हैं।
3. समन्वयवादी दृष्टिकोण- इस मान्यता के अनुसार नैतिक विवेचना का सीधा सम्बन्ध व्यावहारिक जीवन से नहीं है, फिर भी उसका प्रभाव व्यावहारिक जीवन पर पड़ता है और वह जीवन के आदर्श को हमारे सामने प्रस्तुत कर देती है, जिससे उस आदर्श की ओर गति की जा सके। सिद्धान्त और व्यवहार अलग-अलग होते हुए भी परस्पर सम्बन्धित हैं। मैकेंजी लिखते हैं, एक बुरा सिद्धान्त कभी-कभी एक पीढ़ी की अभिरुचि को विकृत कर देता है, जबकि एक अच्छा सिद्धान्त उस अभिरुचि को सुधारने में सहायक भी हो सकता है।'' ग्रीक दार्शनिक अरस्तू एवं कुछ मध्यकालीन विचारक एवं स्वयं मैकेंजी भी इस मत को ठीक मानते हैं।
प्रारम्भिक बौद्ध-दर्शन एवं जैन-दर्शन नैतिकता के प्रतिशुद्ध व्यावहारिक दृष्टिकोण को अपनाकर ही आगे बढ़े थे, यद्यपि इसके बाद दार्शनिक जटिलताओं ने उन्हें भी इस समन्वयवादी धारणा में लाकर खड़ा कर दिया है। फिर भी, इतना निश्चित है कि किसी भी भारतीय परम्परा ने अपने आचारविज्ञान की विवेचना को जीवन के व्यावहारिक पक्ष से पूर्णत: असम्बन्धित मानने का प्रयत्न नहीं किया।
जैन-विचारकों के अनुसार नीतिशास्त्र का सम्बन्ध व्यावहारिक जीवन से है। एक ओर, उत्तराध्ययन और दशवैकालिकसूत्र में ज्ञान या सैद्धान्तिक अध्ययन को व्यावहारिक
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