________________
- 37 -
489
489
491
491
मूलभूत प्रेरकों का वर्गीकरण 488/ 4. जैन-दर्शन में व्यवहार के प्रेरक-तत्त्वों (संज्ञाओं) का वर्गीकरण
(अ) चतुर्विध वर्गीकरण 489/ (ब) दशविध वर्गीकरण 489/
(स) षोडषविध वर्गीकरण 489/ 5. बौद्ध-दर्शन के बावन चैत्तसिक धर्म
(अ) अन्य-समान चैत्तसिक 490/ (ब) अकुशल चैत्तसिक
___490/(स) कुशल चैतसिक 491/ 6. गीता में कर्म-प्रेरकों का वर्गीकरण 7. कामना का उद्भव और विकास
जैन-दृष्टिकोण 492/ बौद्ध-दृष्टिकोण 493/ गीता का
दृष्टिकोण 493/ निष्कर्ष 493/ 8. 'इन्द्रिय' शब्द का अर्थ
(अ) जैन-दृष्टिकोण 494/(ब) बौद्ध-दृष्टिकोण 494/(स)
गीता का दृष्टिकोण 494/ 9. जैनदर्शन में इन्द्रिय-स्वरूप
जैनदर्शन में इन्द्रियों के विषय 495/ जैनदर्शन में इन्द्रिय-निरोध
496/ 10. बौद्धदर्शन में इन्द्रिय-निरोध 11. गीता में इन्द्रिय-निरोध 12. क्या इन्द्रिय-दमन सम्भव है ?
जैनदर्शन और इन्द्रिय-दमन 500/बौद्धदर्शन और इन्द्रिय दमन 500/ गीता और इन्द्रिय-दमन 501/
494
494
498
499
499
17 मन का स्वरूप तथा नैतिक-जीवन में उसका स्थान 1. मन का स्वरूप
505 2. द्रव्यमन और भावमन
505 3. मन शरीर के किस भाग में स्थित है ?
505 4. जैनदर्शन में द्रव्यमन और भावमन की कल्पना
506 5. द्रव्यमन और भावमन का सम्बन्ध
506
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org