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6. नैतिक चेतना में मन का स्थान
जैन-दृष्टिकोण 508/ बौद्ध-दृष्टिकोण 509/ गीता एवं वेदान्त
का दृष्टिकोण 509/ 7. मन ही बन्धन और मुक्ति का कारण क्यों ? 8. मन अविद्या का वासस्थान 9. नैतिक-प्रगति और नैतिक उत्तरदायित्व एवं मन 10. मनोनिग्रह
जैनदर्शन में मनोनिग्रह 514/ बौद्धदर्शन में मनोनिग्रह 514/
गीता में मनोनिग्रह 514/ 11. आधुनिक मनोविज्ञान में मनोनिग्रह : एक अनुचित धारणा 12. समालोच्य आचार-दर्शनों में दमन की अनौचित्यता
जैनदर्शन में मनोनिग्रह का अनौचित्य 515/ बौद्धदर्शन में दमन
का अनौचित्य 516/गीता में दमन का अनौचित्य 516/ 13. जैनदर्शन का साधना मार्ग-वासनाओं का दमन नहीं, वासना का क्षय 14. वासनाक्षय एवं मनोजय का सम्यक् मार्ग 15. जैनदर्शन में मन की चार अवस्थाएँ।
1. विक्षिप्त मन 519/2. यातायात मन 520/3. श्लिष्ट मन
520/4. सुलीन मन 520/ 16. बौद्धदर्शन में चित्त की चार अवस्थाएँ
__ 1. कामावचर चित्त 520/2. रूपावचर चित्त 520/3.
अरूपावचर चित्त 520/4. लोकोत्तर चित्त 520/ 17. योगदर्शन में चित्त की पाँच अवस्थाएँ
1. क्षिप्त चित्त 521/ 2. मूढ़ चित्त 521/ 3. विक्षिप्त चित्त 521/ 4. एकाग्र चित्त 521/ निरुद्ध चित्त 521/
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18 मनोवृत्तियाँ (कषाय एवं लेश्याएँ)
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1. कषाय-सिद्धान्त 2. कषाय का अर्थ 3. कषाय की उत्पत्ति
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