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________________ जैन, बौद्ध और गीता के आचारदर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन अरबन ने सबसे पहले मूल्यों को दो भागों में बाँटा है- (1) जैविक और (2) अति जैविक। अतिजैविक-मूल्य भी सामाजिक और आध्यात्मिक - ऐसे दो प्रकार के हैं। इस प्रकार मूल्यों के तीन वर्ग बन जाते हैं 202 - 1. जैविक मूल्य- शारीरिक, आर्थिक और मनोरंजन के मूल्य जैविकमूल्य हैं। आर्थिक मूल्य मौलिक रूप से साधन-‍ -मूल्य हैं, साध्य नहीं। आर्थिक शुभ स्वतः मूल्यवान् नहीं हैं, उनका मूल्य केवल शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों को अर्जित करने के साधन होने में है। सम्पत्ति स्वतः वाञ्छनीय नहीं है, बल्कि अन्य शुभों का साधन होने के कारण वाञ्छनीय है । सम्पत्ति एक साधनमल्य है, साधन-मूल्य नहीं। शारीरिकमूल्य भी वैयक्तिक-मूल्यों के साधक हैं। स्वास्थ्य और शक्ति से युक्त परिपुष्ट शरीर को व्यक्ति अच्छे जीवन के अन्य मूल्यों के अनुसरण में प्रयुक्त कर सकता है। क्रीड़ा स्वयं मूल्य है; किन्तु वह भी मुख्यतया साधन-मूल्य है। उसका साध्य शारीरिक स्वास्थ्य है। मनोरंजन चित्तविक्षोभ को समाप्त करने का साधन है। क्रीड़ा और मनोरंजन उच्चतर मूल्यों के अनुसरण के लिए हमें शारीरिक एवं मानसिक दृष्टि से स्वस्थ रखते हैं। 2. सामाजिक-म -मूल्य- सामाजिक मूल्यों के अन्तर्गत साहचर्य तथा चरित्र के मूल्य आते हैं। आज के मानवतावादी युग में तो इन मूल्यों का महत्व अत्यन्त व्यापक हो गया है। यद्यपि ये दोनों मूल्य किसी अन्य साध्य के साधन -स्वरूप प्रयुक्त होते हैं, परन्तु कुछ महान् पुरुषों ने सच्चरित्रता एवं समाजसेवा को जीवन के परम लक्ष्य के रूप में ग्रहण किया है। मनुष्य समाज का अंग है । एक असीम आत्मा का साक्षात्कार समाज के साथ अपनी वैयक्तिकता का एकाकार करके ही किया जा सकता है। 3. आध्यात्मिक-‍ -मूल्य- मूल्यों के इस वर्ग के अन्तर्गत बौद्धिक, सौन्दर्यात्मक एवं धार्मिक-तीन प्रकार के मूल्य आते हैं। ये तीनों मूल्य मूलत: साध्यमूल्य हैं। ये आत्मा की सर्वश्रेष्ठ या परम आदर्श प्रकृति, अर्थात् सत्यं शिवं और सुन्दरं की अभिरुचियों को तृप्ति प्रदान करते हैं तथा जैविक एवं सामाजिक मूल्यों से श्रेष्ठ कोटि के हैं। 9 - तुलनात्मक दृष्टि से भारतीय दर्शनों के पुरुषार्थचतुष्टय में अर्थ और काम जैविक मूल्य हैं और धर्म और मोक्ष अतिजैविक मूल्य हैं। अरबन ने जैविक मूल्यों में आर्थिक, शारीरिक और मनोरंजनात्मक मूल्य माने हैं। इनमें आर्थिक मूल्य अर्थपुरुषार्थ तथा शारीरिक और मनोरंजनात्मक-1 क-मूल्य कामपुरुषार्थ के समान हैं। अरबन के द्वारा अतिजैविक मूल्यों में सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्य माने गए हैं। उनमें सामाजिक-मूल्य धर्मपुरुषार्थ से और आध्यात्मिक मूल्य मोक्षपुरुषार्थ से सम्बन्धित हैं । जिस प्रकार अरबन ने मूल्यों में सबसे नीचे -- Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003607
Book TitleBharatiya Achar Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages554
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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