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सम्यक्त्व के परिचय बिना मुक्ति भी संभव नहीं होती सम्यक्त्व आत्मोपलब्धि का वह अनुष्ठान है जहाँ आत्मवत् दृष्टि का विकास होता है।
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अनुभूति एवं दर्शन / 8
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