________________
जन्म और मृत्यु के बीच मिला है जो अवसर उसमें तुम ढूंढलो जीवन का वह अर्थ जो तुम्हें बनादे अजर-अमर जो नष्ट होता है वह तुम नहीं हो
और जो जन्मता है वह भी तुम नहीं हो जन्म-मरण तो शरीर का है इस भेद ज्ञान को जानलो मिली जितनी श्वांस उनको सार्थक कर लो पंच महाभूत से बनी देह का पंच महाभूत में मिल जाना वह तुम्हारी मृत्यु नहीं हो सकती तुम नहीं मरते हो नही जन्म लेते हो तुम तो हो शाश्वत भूत भविष्य वर्तमान में कोई काल ऐसा नहीं जब तुम नही थे नहीं होंगे नही हो तुम अनादि अनंत हो
यदि तुम इस देह के जन्म-मृत्यु की यात्रा से थक गये हो तो इस जन्म-मरण के चक्र से उपर उठ जावो तुममे है वह पुरूषार्थ तुम अंत कर डालो इस चक्र का और वह अंतिम मृत्यु ही तुम्हारी मुक्ति बन जाये
अनुभूति एवं दर्शन / 30
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org