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जीवन का अर्थ
तुम डरो मत उससे यह निश्चित है वह आएगी
तुम कैसे उससे बच सकते हो
कोई स्थान नहीं ऐसा
जहाँ उसका प्रवेश नहीं तुम भयभीत हो जिस मृत्यु से
वह हर क्षण तुम्हारे साथ है उन सुनिश्चित श्वांसों में हर श्वांस के साथ वह आती है जितनी श्वांस तुम ले चुके उतने ही तुम मर चुके जितनी श्वांस बाकी है उतना ही जीवन इस शरीर में बाकी है
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तुम मृत्यु को अपना अंत मत समझो
वह तो मात्र देह का परिवर्तन
यदि पहनने की इच्छा हो तो
जीर्ण वस्त्र उतारकर
नया वस्त्र धारण करना ही पडता है ।
इस महायात्रा में
तुमने अनन्त बार पड़ाव डाले और फिर शुरू करदी नयी यात्रा अनन्त बार तुमने मृत्यु को पाया और अनन्त बार ही
नया शरीर धारण कर, नव जीवन पाया
अनुभूति एवं दर्शन / 29
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