________________
मन रूपी घोड़ा
देखो, देखो लोगों एक अजूबा. अश्व तो सवारी का साधन किंतु आज अश्व ही हुआ है सवार मनुष्य के ऊपर सारे संघर्षो को रचाता दुनिया को वह है नचाता कोईक महारथी ही होता है ऐसा जो इस मन रूपी अश्व पर सवारी करता वायु से भी तेज गति है इसकी एक ही क्षण में देश-विदेश घूमकर आता कितनी ही करो इसकी चौकीदारी फिर भी धोखा देकर यह निकल ही जाता जितना ही हम इसको समझाते उतना ही ऊधम मचाता
ज्ञानी ध्यानी और तपस्वी भी बड़े जतन से इसको मना पाते अगर हो जाए थोड़ी सी भी चूक या प्रमत्तदशा एक क्षण की भी हो वर्षों की साधना पर यह पानी फेर देता मन के बिना इन्द्रियों की भी
अनुभूति एवं दर्शन / 15
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org