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________________ आसन से मन प्रसन्न होता है। योगसूत्र में आसन के अनेक प्रकार हैं। कुछ चुने हुए आसन ध्यानपूर्वक करें। आसन से स्थैर्य, निराकुलता, लोच प्राप्त होती है । आसन बहुत सुखकारी है। अधिक समय तक बिना हिले-डुले बैठें। मुद्रा भी ध्यान में सहायक है, क्योंकि वह शरीर पर नियंत्रण करती है। आचार्य कुन्दकुन्द कहते हैं कि आहार - विजय, निद्रा - विजय व आसन-विजय साधक को मदद करते हैं। आसन करते समय शुद्ध हवा में बैठें, श्वास दीर्घ व मंद रहे, कपड़े ढीले हों। आसनों के अन्त में शवासन करें। आसन और भोजन में कम-से-कम तीन घंटे का अंतर हो । मौन का अभ्यास ध्यान में बहुत मदद करता है। ध्यान खड़े रहकर भी कर सकते हैं और बैठकर भी। भगवान् बाहुबली ने एक साल तक खड्गासन में ध्यान किया था । ध्यान के लिए क्षेत्र महत्वपूर्ण है। शांत, पवित्र स्थान ध्यान के लिए योग्य है। परंतु उस क्षेत्र से भी अधिक महत्वपूर्ण हैपवित्र और शुद्ध मन, अर्थात् साधक का मन एक निष्पाप बालक के समान हो । 94/ ध्यान दर्पण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003602
Book TitleDhyan Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaya Gosavi
PublisherSumeru Prakashan Mumbai
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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