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________________ उसके तीन विभाग हैं- १. तोरा- इसमें दस आज्ञा का प्रतिपादन किया गया है। २. नवी - इसमें साधना, प्रेम और अहिंसा का स्वरूप है। ३. नविश्ते- इसमें जीवन का आदर्श स्पष्ट किया गया है । यहूदी-धर्म की स्थापना प्रेमयोग पर आधारित है। ११. ईसाई - धर्म - ईसाई धर्म का उद्गम यहूदी धर्म है। ईसाइयों का धर्मग्रंथ भी बाइबिल है। उसके दो भाग हैं- १. पुरातन सुसमाचार (Old Testament ) २. नूतन सुसमाचार (New Testament)। पुरातन सुसमाचार संपूर्ण बाइबिल का तीन चौथाई भाग है और नूतन सुसमाचार ईसाई - धर्म का मूल ग्रंथ है। इसमें ईसा के जीवन और उपदेशों का संकलन है । ईसाई धर्म नैतिकता पर आधारित है। इसके अनुसार प्रेम की साधना से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। १२ . इस्लाम - धर्म - 'कुरान' इसका आधार है। इसे 'कुरान शरीफ' भी कहते हैं। इसमें पांच मौलिक साधना - सूत्र हैं- १. अल्लाह में विश्वास २. फरिश्ते में विश्वास ३ कुरान में विश्वास ४. देवदूतों में विश्वास ५. निर्णय दिन, स्वर्ग, नरक में विश्वास । यह धर्म पुनर्जन्म को नहीं मानता। इसमें साधना-पद्धति के सूत्रधार निम्न हैं १. मत का उच्चारण- अल्लाह के सिवाय कोई ईश्वर नहीं । २. नमाज पढ़ना— वजू की विधि, शरीर का शुद्धिकरण । ३. जकात- आय का एक अंश दान करना । ४. रमजान के महीने में उपवास करना । ५. हज करना- पापों का प्रायश्चित्त, दान, दानी की संगति, मक्का - यात्रा, शरीर-शुद्धि आदि पद्धतियों के द्वारा अल्लाह की प्राप्ति हेतु साधना करना । 92/ ध्यान दर्पण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003602
Book TitleDhyan Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaya Gosavi
PublisherSumeru Prakashan Mumbai
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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