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विविध साधना-पद्धति
१. रामकृष्ण की साधना-पद्धति- यह भक्तियोग का एक सुंदर उदाहरण है। भक्ति के तीन पहलू हैं- सात्विक, राजसिक, तामसिक। रामकृष्ण परमहंस ने साधना के सात सोपानों का वर्णन किया है। १. साधुसंग २. श्रद्धा ३. निष्ठा ४. भक्ति ५. भाव ६. महाभाव और ७. प्रेम- ये सातों ही भक्ति के भाव हैं।
रामकृष्ण ने भक्तियोग और कर्मयोग की साधना ही जीवन में श्रेष्ठ मानी। २. स्वामी विवेकानंद- इनकी आध्यात्मिक-साधना का मूल स्रोत मानव-सेवा था। इनके मत से योग का भावार्थ इस प्रकार है- पूर्णत्व प्राप्त करके आत्मा की मुक्ति पाना और उसका उपाय योग है। ३. महात्मा गांधी- गांधी साधक, योगी और भक्त थे। उन्होंने परम शुभ सत्यान्वेषण में सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्यादि को ही माना था। गांधीजी की साधना-पद्धति के एकादश व्रत हैं, उनके नाम हैं- १. सत्य २. अहिंसा ३. ब्रह्मचर्य ४. इंद्रिय-निग्रह ५. अस्तेय ६. अपरिग्रह ७. स्वदेशी ८. अभयव्रत ९. अस्पृश्यता-निषेध और १०. देशी भाषाओं से शिक्षा। ४. रवीन्द्रनाथ टैगोर- उन्होंने काव्यकला के माध्यम से अनेक दिशाओं का उद्घाटन किया। वे उच्च कोटि के साधक, कवि और योगी थे। कविता की तान में तल्लीन होना ही ध्यान-योग है। इस प्रक्रिया से ईश्वरत्व की प्राप्ति होती है। ५. अरविन्द योगी- आत्मा का अमरत्व प्राप्त करना ही
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