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वैसी ही कल हो, यह जरूरी नहीं है। अगर सब कुछ बदल रहा हो, तो कुछ तो नित्य होगा। हाँ, सिर्फ एक बात नित्य हैआत्मा। हमें उसे ही जानना है ।
एक बार एक लड़का यीशू के पास गया और कहने लगा – “मुझे आपके पास ही रहना है, पर घरवाले मुझे बहुत प्यार करते हैं। वे मेरे बिना नहीं रहेंगे ।" तब यीशू हँसकर बोले - "कोई भी तुमसे प्यार नहीं करता । यह बात मैं साबित कर सकता हूँ। मैं जैसा कहूँ, वैसा ही करना ।” यीशू के बताने पर वह लड़का 'पेट में बहुत दर्द है'- ऐसा कहते हुए घर पहुँचकर जोर-जोर से रोने लगा । तब सभी परिजन उसका हाल पूछने के लिए उसके पास आए। कोई उसे पानी देता, कोई दवा देता, पर लड़के का रोना कम नहीं हुआ। लड़का मरने का ढोंग करने लगा। उसी वक्त वहाँ पर यीशू आए और कहने लगे" इस बीमारी का एक इलाज है। एक कटोरी में दूध लाओ।” दूध आने पर यीशू कुछ मंत्र पढ़कर कहने लगे- “इस मन्त्र से प्रभावित दूध को जो कोई पीएगा, वह तुरंत मरेगा, पर उसके बदले यह लड़का जीवित होगा ।" वह दूध पीने के लिए कोई भी तैयार नहीं हुआ। सभी ने अनेक कारण बताए । कोई भी मरने के लिए तैयार नहीं था । यह देखकर खुद यीशू उस दूध को पी गए और लड़का जीवित हो गया, पर यीशू को कुछ नहीं हुआ। लड़का उठकर खड़ा हुआ और बिना कुछ कहे यीशू के साथ चल पड़ा। उसने तो दुनिया का स्वार्थ देख लिया था, अब तो सिर्फ अपना कल्याण करना ही उसका ध्येय था ।
ध्यानावस्था को उपलब्ध साधक शनै: - शनै: शरीर, मन और इन्द्रियों से पृथक्त्व की अनुभूति करते हुए एक दिन शरीर व मन के रहते हुए भी उनसे पृथक् हो जाता है।
दुविहं पि मोक्खहेडं, ज्झाणे पाउणदिजं मुणी णियमा ता पयत्तचित्ता जूयं झाणं समब्भसह ।
70/ ध्यान दर्पण
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