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दुकान ५. कारखाने ६. मंच ७. यात्रीगृह ८. आरामगृह ९. गांव और नगर १०. श्मशान ११. शून्यगृह १२. वृक्ष के नीचे।
भगवान् ने अधिकांश समय खड़े रहकर ही ध्यान किया। वे कायोत्सर्ग में शरीर को शिथिल कर खड़े हो जाते। इसके अलावा उन्होंने वीरासन, गोदुहिकासन, उत्कुटासन में भी साधना की।
सिद्धक्षेत्रे महातीर्थ पुराण पुरूणाश्रिते। कल्याण कलिते पुण्ये ध्यान सिद्धिः प्रजायते। __ ध्यान के लिए सिद्धक्षेत्र, निर्वाण-भूमि, तीर्थंकर कल्याण-भूमि योग्य है। कुछ साधक तो शून्यगृह, श्मशानभूमि, नदी का संगमस्थल, सिद्धकूट, नदी का किनारा, किला, वृक्ष के नीचे भी ध्यान करना पसंद करते हैं।
ध्यान दर्पण/31
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