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________________ ५६६ चारित्र चक्रवर्ती जाय ।। इसी अनुसार अकलुज (महाराष्ट्र) ग्राम में स्थानीय डी. एस. पी. (डीप्युटी सुपरिन्टेण्डेन्ट ऑफ पुलिस), सोलापुर की २७ नवंबर को और सोलापुर के कलेक्टर की बुद्धि २८ नवंबर को भ्रष्ट हुई। इनमें से डी. एस. पी. महोदय तो सफल नहीं हो पाये, किंतु सोलापुर के कलेक्टर ने रात्रि के ८ बजे दिगम्बर जैन मंदिर का ताला तुड़वाकर उसके भीतर मेहतरों तथा चमारों आदि का प्रवेश करवा दिया ।। जिन जैन बन्धुओं ने इनके विरुद्ध आवाज उठाई उनको गिरफ्तार कर लिया || गिरफ्तारी दो चरणो में हुई || निम्न ११ में से प्रारंभ के ८ को २७ नवंबर को हरिजनों को मंदिर में प्रवेश करवाने में असफल डी. एस. पी. द्वारा व शेष ३ को सोलापुर २८ नवंबर को कलेक्टर के निर्देशन पर गिरफ्तार किया गया । जिन्हें गिरफ्तार किया गया उनके नाम इस प्रकार हैं : : १. स्व. अभय कुमार रूपचंद फडे, २. स्व. दीपचंद केशरचंद फडे ३.स्व. माणिकलाल हीराचंद दोशी, ४. स्व. ताराचंद हीराचंद फडे, ५. स्व. हीराचंद जीवनचंद गांधी, ६. स्व. प्रेमचंद रायचंद गांधी ७. स्व. हीम्मतलाल हीराचंद फडे, ८. श्री रतनलाल रायचंद गांधी ε. श्री जयकुमार जीवराज दोशी, १०. श्री अनंतलाल जीवराज गांधी ११. श्री माणिकलाल जीवराज गांधी (मुनि श्री अनंतकीर्तिजी महाराज, आचार्य देवनंदि जी महाराज) हमने ऊपर लिखा कि आचार्य श्री के अनुचर रूप गमन करने वाले अतिशय ने ही सोलापुर के कलेक्टर की बुद्धि भ्रष्ट की, सो अतिशयोक्ति अलंकार रूप नहीं लिखा है, अपितु यथार्थतः ऐसा ही हुआ भी था, क्यों कि श्री मंदिरजी का ताला तोडने के पश्चात् सोलापुर के कलेक्टर मात्र एक कदम ही मंदिरजी में प्रवेश कर पाये, दूसरा डग भर न पाये । इसमें भी विशेषता यह रही कि हरीजन भाई भी मंदिरजी की देहरी ही छू पाये, भीतर प्रवेश न कर पाये, वहीं से लौट गये ॥ मंदिरजी में बलात् प्रवेश कर लेने के बाद भी न तो वेदी जी को ही छू पाना और न ही प्रतिमाजी को, इसे आचार्य श्री का ही अतिशय न कहेंगे, तो फिर क्या कहेंगे !! अतिशय को सोलापुर के कलेक्टर की उद्दंडता भर चाहिये थी, और कुछ नहीं, सो मिली और उसे वहीं से लौटा दिया ।। संघस्थ उस समय समाज के अध्यक्ष श्री भाईचंद ताराचंद गांधी व सेक्रेटरी श्री छगनलाल लालचंद फडे थे । इन दोनों के द्वारा समाज की मिटींग बुलवाई गई ॥ न सिर्फ मिटिंग बुलवाई गई, अपितु आचार्य श्री से संपर्क कर इस संबंध में प्रतिक्रिया क्या की जाय, इस विषय पर चर्चा भी की गई ।। आचार्य श्री के निर्देशानुसार श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003601
Book TitleCharitra Chakravarti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2006
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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