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________________ प्रतिज्ञा ५६७ महासभा के पदाधिकारियों से संपर्क किया गया । आचार्य श्री की उपस्थिति में मिटिंग ITI आयोजन किया गया । आचार्य श्री की कांक्षा थी कि जैसे केन्द्रिय सरकार को अपने पक्ष में करने हेतु किये गये पुरुषार्थ में किंचित् भी कोताही नहीं बरती गई, उसी प्रकार इस बार भी अत्यंत सावधानी व दूरदर्शिता पूर्वक अनुष्ठान का आयोजन किया जाय । सो आचार्य श्री की मंशानुसार ११ सदस्यीय कार्यकर्ताओं की समिति गठित की गई व तय किया गया कि बंबई हायकोर्ट में गव्हर्नमेन्ट ऑफ बोम्बे (महाराष्ट्र सरकार) व सोलापुर कलेक्टर के विरुद्ध आरोप-पत्र प्रस्तुत किया जाय || सम्पूर्ण भारतवर्ष का दिगंबर जैन समाज इस निर्णय में अकलुज समाज के साथ था । इस निर्णय के अनुसार श्री भाईचंद ताराचंद गांधी, श्री मियाचंद रतुचंद फडे, श्री उत्तमचंद केशवचंद फडे, श्री माणिकलाल श्री अभयकुमार रूपचंद फडे ने संयुक्त रूप से बंबई सरकार व शोलापुर कलेक्टर के खिलाफ आचार्य श्री के मत को पुष्ट करने हेतु जनहित में याचिका जनवरी सन् १९५१ को बैरिस्टर पालखीवाला व बैरिस्टर सर एन. पी. इंजिनीयर के निर्देशन में दायर की।। अदालत में अपना पक्ष रखने हेतु महान विद्वान व पूर्व न्यायाधीश बैरिस्टर दास को नियुक्त किया गया, जिनके कि एक ही तर्क ने न्यायाधीश चागला आदि को जैनियों के पक्ष में चिंतन करने को मजबूर कर दिया || सम्पूर्ण अदालतीय खर्च का वहन करने की जिम्मेदारी आदरणीय सेठ श्री गजराज जी गंगवाल ने ग्रहण की ।। इसके आगे का इतिहास ठीक वैसा ही घटा, जैसा कि पंडितजी श्री सुमेरुचंद्रजी ने लिखा है | वह इतिहास स्पष्ट इशारा करता है कि जीत हमारे पौरुष से नहीं, अपितु आचार्य श्री के ज्ञानबल, चारित्रबल, तपोबल व मंत्रबल के अनुचर अतिशय ने दिलवाई ॥ आचार्य श्री के अनुचर रूप कार्य करने वाले अतिशयों ने स्वयं ही बाधित कर्म की अविपाक निर्जरा कर प्रतिज्ञा पूर्ती का आयोजन कर दिया, हम कुछ भी न कर पाये । हम तो बस इन्हीं अनुचरों के बल पर कार्य करने वाले सामान्य सिपाही भर रहे || ॐ शांति शांति शांति ।। सूचना : कोर्ट के आदेश की कोर्ट से प्राप्त नकल प्रति जो कि कुछ स्पष्ट व कुछ अस्पष्ट है, की यथास्थिति प्रिंट व उसका सुप्रसिद्ध विद्वान श्री वर्द्धमान पार्श्वनाथजी शास्त्री, शोलापुर (महा.) द्वारा किया गया हिंदी अनुवाद भी इस लेख के पश्चात् अन्य ऐतिहासक साक्ष्यों के साथ मुद्रित किया जा रहा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003601
Book TitleCharitra Chakravarti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumeruchand Diwakar Shastri
PublisherBharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
Publication Year2006
Total Pages772
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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