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श्रमणों के संस्मरण सत्तर वर्ष की अवस्था में क्षुल्लक दीक्षा
इस समय वर्धमानसागरजी ७० वर्ष के हो चुके थे। अवस्था तो श्रेष्ठ तपस्या के प्रतिकूल प्रतीत होती थी, किन्तु आत्मबल एवं वैराग्य के आश्रय से उन्होंने क्षुल्लक दीक्षा के महान् भार को अंगीकार करने का सुदृढ़ निश्चय कर लिया। मुनि नेमिसागर जी पुत्तूरकर, समडोली में विराजमान थे, अतः वे नेमिसागर महाराज के पास दीक्षार्थ गए।
उस समय कुंमगोंडा पाटील के मन में अवर्णनीय सन्ताप हुआ। वे जमीन पर गिर गए, फूट-फूटकर रोने लगे। उस समय का करुण दृश्य इन स्थिर-वैराग्यवाले महापुरुष पर कुछ प्रभाव न डाल सका।
उन्होंने ब्र. जिनदासजी से कहा- "उधर मत देखो, आगे बढ़ो।" उस समय वे सोच रहे थे कि अहमिक्को णाणमओ', मैं अकेला ज्ञानमयी चित्चैतन्य हूँ। एक एव जायेहं एक एव म्रिये, न मे कश्चिन् स्वजन: परिजनो वा' मैं अकेला उत्पन्न होता हूँ, अकेला मरण करता हूँ, मेरा कोई भी कुटुम्बी-बन्धु नहीं है। इस स्थिति में किसका भाई और किसकी बहिन ? यह सब मोह तथा अज्ञान का जाल है। उससे जकड़ा जीव पर वस्तुओं में अपनापन उत्पन्न करता है। अब मेरी आत्मा में सच्चे ज्ञान की ज्योति जगी है। मेरा कुटुम्ब परिवार दूसरा है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र ही मेरे बन्धु हैं। सच्चे कुटुम्बी हैं। त्रिकाल में भी इनका साथ नहीं छोड़ना है। लौकिक बन्धु श्मशान तक साथ देते हैं। मेरा हंस अकेला ही कर्मों के अनुसार दूसरी पर्याय धारण करता है। वहाँ इसके अन्य कुटुम्बी तथा इष्ट जन बन जाते हैं। अब मैं इस मोह के प्रतारणापूर्ण माया जाल में नहीं प तूंगा। इस प्रकार ज्ञान का निर्मल निर्झर उनके अन्तःकरण में बह रहा था। समडोली में क्षुल्लक दीक्षा
उनकी यथाविधि क्षुल्लक दीक्षा समडोली ग्राम में हो गई। चार वर्ष पर्यन्त ये क्षुल्ल्क रहे, पाँचवें वर्ष में ऐलक दीक्षा हुई और पश्चात् छठवें वर्ष में दिगम्बर मुनि बने। इससे स्पष्ट होता है कि मुनि दीक्षा देना सामान्य नहीं, किन्तु गंभीर विचारपूर्ण कार्य है, ऐसी आचार्य महाराज की धारणा थी। गंजपंथा प्रस्थान
चार चातुर्मास गुरु के समीप हुए। पाँचवाँ चातुर्मास डिग्रज ग्राम में हुआ। वहाँ बड़गाँव के धर्मात्मा श्रावक बाबूराव माले आए और मोटर में इनको बैठाकर गजपंथा ले गए। वहाँ शांतिसागर महाराज विराजमान थे। ___ गजपंथा पहुँचकर इन ज्येष्ठ वयवाले बन्धु ने अनुज बन्धु आचार्य शान्तिसागर महाराज को प्रणाम किया। दीक्षा लेने के बाद भाई-बन्धु आदि के कौटुम्बिक सम्बन्ध समाप्त हो
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