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आगम
३०८ सिद्धांत का जरा भी लोप नहीं होता है। यदि दोष है, तोरंचमात्र है, किन्तु यदि वह वर्णन द्रव्य की अपेक्षा कहा तो वहाँ संजद शब्द होना था, किन्तु प्रतिलिपिकार के प्रमादवश वह आ गया और विद्वान् संशोधकों ने भी उसे रख दिया, तो गर्दन कटने सदृश बात हो गई, कारण मूलसूत्रकार की दृष्टि में द्रव्यस्त्री को निर्वाण मानना होगा, ऐसा होने से सत्यधर्म का लोप हो जायगा।"
अतएव यह विषय साधारण नहीं है। उस पर संस्कृति के जीवन मरण की बात निर्भर है।
इस विषय में हमने विशेष प्रकाश 'सैद्धांतिक चर्चा' नामक दिगम्बर जैन समाज, बम्बई की ओर से प्रकाशित पुस्तक में आचार्य महाराज के आदेश पर एक दृष्टि' निबन्ध में की है। अतएव उस पर विशेष विवेचन यहाँ करना आवश्यक नहीं प्रतीत होता है। ___ हमारी दृष्टि से आचार्य महाराज का निर्णय मूलसूत्रकार के कथन के अनुरूप है। मूल प्रति नष्ट हो चुकी है
जनसाधारण तो इस सूक्ष्म चर्चा की गहराई को नहीं जान पाते। उनको भड़काने के लिए इतना ही कहा जाता है, कि आचार्य महाराज ने मूल प्रति में परिवर्तन कराया है, यह बात रंचमात्र भी नहीं है। जैसा पहले कहा जा चुका है, कि मूल प्रति नष्ट हुए बहुत समय हो गया, जबकि भारत की भूमि पर यवनों का आना भी नहीं हुआ था। उत्तर प्रति विद्यमान है जो, अनेक जगह भूलों से भरी है। संशोधक लोग सूक्ष्मदृष्टि से त्रुटियों को दूर कर ग्रंथकार के भाव के अनुरूप सुधार करते हैं। यही बात संजद शब्द के बारे में हुई है। निर्णय
__एक बात और भी लिखना जरूरी है कि आचार्य महाराज ने अपनी राय नहीं दी थी। दोनों पक्षों के विद्वानों की सामग्री आचार्य महाराज के पास पेश हुई। जीर्णोद्धारक संघ के ट्रस्टियों ने पंडितों के बीच विवाद का अंत न देखकर आचार्य परमेष्ठी से प्रकाश पाने की प्रार्थना की, क्योंकि आचार्यश्री का अनुभव महान् है। आचार्यश्री को भय है कि यदि हमने कषायवश मिथ्या कथन कर दिया, तो हमारा कल्याण न होगा। वे वीतराग हैं, ऐसे व्यक्ति को न्यायाधीशचुनकर निर्णय माँगा गया, तब उन्होंने अपने विवेक, तत्त्वचिंतन, धर्म की परम्परा, ग्रंथकार की तत्त्व विवेचना-पद्धति आदि को ध्यान में रखकर निर्णय दिया कि उभय पक्ष के विद्वानों के कथन को तौलने पर हमें यह कथन ठीक लगता है कि सूत्र सं. ६३ का निर्दोष शुद्ध रूप यह है. "सम्मामिच्छाइहि असंजदसम्माइट्टि संजदासंजदट्ठाणे णियमा
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१. श्वेताम्बर विद्वानों ने संजद' शब्द के आधार पर षट्खंडागमको स्त्रीमुक्तिपोषकश्वेताम्बरग्रंथ लिखनाशुरू कर दिया है।
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