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________________ ठाणं (स्थान) ६५० स्थान १०: सूत्र १७४-१७८ एवं चिण-उवचिण-बंध एवम्-चय-उपचय-बन्ध इसी प्रकार उनका इपचय, बंधन, उदीरण, उदीर-वेय तह णिज्जरा चेव । उदीर-वेदा: तथा निर्जरा चैव। वेदन और निर्जरण किया है, करते हैं और करेंगे। पोग्गल-पदं पुद्गल-पदम् पुद्गल-पद १७४. दसपएसिया खंधा अणंता पण्णत्ता। दशप्रदेशिकाः स्कन्धाः अनन्ताः १७४. दस प्रदेशी स्कन्ध अनन्त हैं । प्रज्ञप्ताः । १७५. दसपएसोगाढा पोग्गला अणंता दशप्रदेशावगाढा: पुद्गलाः अनन्ताः १७५. दस प्रदेशावगाढ पुद्गल अनन्त हैं । पण्णत्ता। प्रज्ञप्ताः । १७६. दससमय ठितीया पोग्गला अणंता दशसमयस्थितिका: पुद्गलाः अनन्ताः १७६. दस समय की स्थिति वाले पूदगल पण्णत्ता। प्रज्ञप्ताः । अनन्त हैं। १७७. दसगुणकालगा पोग्गला अणंता दशगुणकालकाः पुद्गलाः अनन्ता: १७७. दस गुण वाले पुद्गल अनन्त हैं । पण्णत्ता। प्रज्ञप्ताः । १७८. एवं वणेहिं गंहिं रसेहि फासेहिं एवं वर्णैः गन्धैः रसैः स्पर्शः दशगुणरूक्षाः १७८. इसी प्रकार शेष वर्ण तथा गंध, रस और दसगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पुद्गलाः अनन्ताः प्रज्ञप्ताः । स्पर्शो के दस गुण वाले पुद्गल अनन्त पण्णत्ता। ग्रन्थ परिमाण अक्षर परिमाण-१६५४४८ अनुष्टप् श्लोक परिमाण-५१७० अक्षर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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