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ठाणं (स्थान)
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स्थान १० : सूत्र १७०-१७३ णाणविद्धिकर-पदं ज्ञानवृद्धिकर-पदम्
ज्ञानवृद्धिकर-पद १७०. दस णक्खत्ता णाणस्स विद्धिकरा दश नक्षत्राणि ज्ञानस्य वृद्धिकराणि १७०. ज्ञान की वृद्धि करने वाले नक्षत्र दस हैंपण्णत्ता, तं जहा
प्रज्ञप्तानि, तद्यथासंगहणी-गाहा
संग्रहणी-गाथा १. मिगसिरमद्दा पुस्सो, १. मृगशिरा आर्द्रा पुष्यः,
१. मृगशिरा, २. आर्द्रा, ३. पुष्य, तिण्णि य पुव्वाई मूलमस्सेसा। त्रीणि च पूर्वाणि मूलमश्लेषा।
४. पूर्वाषाढा, ५. पूर्वभाद्रपद, हत्थो चित्ता य तहा, हस्तश्चित्रा च तथा,
६. पूर्वफाल्गुनी, ७. मूल, दस विद्धिकराई णाणस्स ॥ दश वृद्धिकराणि ज्ञानस्य ।
८. अश्लेषा, हस्त, १०. चित्रा। कुलकोडि-पदं कुलकोटि-पदम्
कुलकोटि-पद १७१. चउप्पयथलयरपंचिदियतिरिक्ख- चतुष्पदस्थलचरपञ्चेन्द्रितिर्यग्योनिकानां १७१. पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक स्थलचर
जोणियाणं दस जाति-कुलकोडि- दश जाति-कुलकोटि-योनिप्रमुख-शत- चतुष्पद के योनिप्रवाह में होने वाली कूलजोणिपमुह-सतसहस्सा पण्णत्ता। सहस्राणि प्रज्ञप्तानि।
कोटियां दस लाख हैं। १७२. उरपरिसप्पथलयरपंचिदियति- . उर:परिसर्पस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्- १७२. पञ्चन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक स्थलचर उर:
रिक्खजोणियाणं दस जाति-कुल- योनिकानां दश जाति-कुलकोटि-योनि- परिसर्प के योनिप्रवाह में होने वाली कुलकोडि-जोणिपमुह-सत्तसहस्सा प्रमुख-शतसहस्राणि प्रज्ञप्तानि । कोटियां दस लाख हैं। पण्णत्ता। पावकम्म-पदं पापकर्म-पदम्
पापकर्म-पद १७३. जीवा णं दसठाणणिव्वत्तिते पोग्गले जीवा दशस्थान निर्वतितान् पुद्गलान् १७३. जीवों ने दस स्थानों से निर्वर्तित पुद्गलों
पावकम्मत्ताए चिणिसु वा चिणंति पापकर्मतया अचेषुः वा चिन्वन्ति वा का पापकर्म के रूप में चय किया है, वा चिणिस्संति वा, तं जहा- चेष्यन्ति वा, तद्यथा
करते हैं और करेंगेपढमसमयएगिदियणिन्वत्तिए, प्रथमसमयकेन्द्रियनिर्वतितान्,
१. प्रथमसनय एकेन्द्रियनिर्वतित पुद्गलों •अपढमसमयएगिदियणिव्वत्तिए, अप्रथमसमयकेन्द्रियनिर्वतितान्, का। २. अप्रथसमय एकेन्द्रियनिर्वर्तित पढमसमयबेइंदियगिव्वत्तिए, प्रथमसमयद्वीन्द्रियनिर्वतितान्,
पुद्गलों का। ३. प्रथमसमय द्वौन्द्रियअपढमसमयबेइंदियणिव्वत्तिए, अप्रथमसमयद्वीन्द्रियनिर्वतितान्,
निर्वतित पुद्गलों का। ४. अप्रथमसमय पढमसमयतेइंदियणिव्वत्तिए, प्रथमसमयत्रीन्द्रियनिर्वतितान्,
द्वीन्द्रियनिर्वतित पुद्गलों का। ५.प्रथम
समय त्रीन्द्रियनिर्वतित पुद्गलों का। अपढमसमयतेइंदियणिव्वत्तिए, अप्रथमसमयत्रीन्द्रियनिर्वतितान्,
६. अप्रथमसमय त्रीन्द्रियनिर्वतित पुद्गलों पढमसमयचरिदियणिव्वत्तिए, प्रथमसमयचतुरिन्द्रियनिर्वतितान्,
का । ७. प्रथमसमय चतुरिन्द्रिय निर्दतित अपढमसमयचरिदियणिब्वत्तिए, अप्रथमसमयचतुरिन्द्रियनिर्वतितान्, पुद्गलों का। ८. अप्रथमसमय चतुरिपढमसमयपंचिदिय णिव्वत्तिए, प्रथमसमयपञ्चेन्द्रियनिर्वतितान्, न्द्रियनिर्वतित पुद्गलों का। ६. प्रथमअपढमसमय पंचिदियणिव्वत्तिए। अप्रथमसमयपञ्चेन्द्रियनिर्वतितान् । समय पञ्चेन्द्रियनिर्वतित पुद्गलों का।
१०. अप्रथमसमय पञ्चेन्द्रियनितित पुद्गलों का।
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