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स्थान २ : सूत्र १५१-१५७
ठाणं (स्थान) १५१. दुविहे काले पण्णत्ते, तं जहा
ओसप्पिणीकाले चेव,
उस्सप्पिणीकाले चेव। १५२. दुविहे आगासे पण्णत्ते तं जहा
लोगागासे चेव। अलोगागासे चेव ।
द्विविधः कालः प्रज्ञप्तः, तदयथा- १५१. काल दो प्रकार का हैअवसप्पिणीकालश्चैव,
अवसर्पिणीकाल। उत्सप्पिणीकालश्चैव।
उत्सपिणीकाल। द्विविधः प्राकाशः प्रज्ञप्तः, तदयथा- १५२. आकाश दो प्रकार का हैलोकाकाशश्चैव,
लोकाकाश और अलोकाकाशश्चैव।
अलोकाकाश।
सरीर-पदं शरीर-पदम्
शरीर-पद १५३. णेरइयाणं दो सरीरगा पण्णत्ता, नैरयिकाणां द्वे शरीरके प्रज्ञप्ते, १५३. नैरयिकों के दो शरीर होते हैंतं जहा अभंतरगे चेव, तद्यथा-आभ्यन्तरकञ्चैव,
आभ्यन्तर शरीर-कर्मक (सब शरीरों बाहिरगे चेव। बाह्यकञ्चैव।
का हेतुभूत शरीर)। अब्भंतरए कम्मए, आभ्यन्तरकं कर्मक,
बाह्य शरीर-वक्रिय। बाहिरए देउविए। बाह्यकं वैक्रियम्। १५४. 'देवाणं दो सरीरगा पण्णता, तं देवानां द्वे शरीरके प्रज्ञप्ते, तदयथा- १५४. देवों के दो शरीर होते हैंजहा—अब्भंतरगे चेव, आभ्यन्तरकञ्चैव,
आभ्यन्तर शरीर-कर्मक। बाहिरगे चेव। बाह्यकञ्चैव।
बाह्य शरीर–वैक्रिय। अब्भंतरए कम्मए,
आभ्यन्तरकं कर्मक, बाहिरए वेउव्विए।
बाह्यकं वैक्रियम्। १५५. पुढविकाइयाणं दो सरीरगा पृथिवीकायिकानां द्वे शरीरके प्रज्ञप्ते, १५५. पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तेजस्कायिक, पण्णत्ता, तं जहातद्यथा
वायुकायिक और वनस्पतिकायिक जीवो अभंतरगे चेव, बाहिरगे चेव। आभ्यन्तरकञ्चव, बाह्यकञ्चैव। के दो-दो शरीर होते हैंअन्भंतरगे कम्मए, आभ्यन्तरकं कर्मक,
आभ्यन्तर शरीर-कर्मक। बाहिरगे ओरालिए जाव वणस्स- बाह्यक औदारिकम् यावत् वनस्पतिका- बाह्य शरीर-औदारिक। इकाइयाणं।
यिकानाम् । १५६. बेइंदियाणं दो सरीरा पण्णत्ता, द्वीन्द्रियाणां द्वे शरीरे प्रज्ञप्ते, तद्यथा--- १५६. दो इन्द्रिय वाले जीवों के दो शरीर होते तं जहा
आभ्यन्तरकञ्चैव, बाह्यकञ्चैव। हैं-आभ्यन्तर शरीर-कर्मक। अब्भंतरए चेव, बाहिरए चेव। आभ्यन्तरकं कर्मक, अस्थिमांसशोणित- बाह्य शरीर-हाड़, मांस और रक्तयुक्त अन्भंतरगे कम्मए, अद्विमंससोणि- बद्धं बाह्यक औदारिकम् ।
औदारिक।५९ तबद्धे बाहिरए ओरालिए। १५७. "तेइंदियाणं दो सरीरा पण्णत्ता, त्रीन्द्रियाणां द्वे शरीरे प्रज्ञप्ते, तद्यथा- १५७. तीन इन्द्रिय वाले जीवों के दो शरीर होते तं जहा—अभंतरए चेव, आभ्यन्तरकञ्चैव,
हैं-आभ्यन्तर शरीर-कर्मक। बाहिरए चेव। बाह्यकञ्चैव।
बाह्य शरीर-हाड़, मांस और रक्तयुक्त अब्भंतरगे कम्मए, अट्ठिमंस- आभ्यन्तरकं कर्मक, अस्थिमांसशोणित- औदारिक।" सोणितबद्धे बाहिरए ओरालिए। बद्धं बाह्यक औदारिकम्।
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