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ठाणं (स्थान)
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स्थान १० : सूत्र ६७-६९
दाण-पदं दान-पदम्
दान-पद ६७. दसविहे दाणे पण्णत्ते, तं जहा- दशविधं दानं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा- ६७. दान के दस प्रकार हैंसंगह-सिलोगो
संग्रह-श्लोक १. अणुकंपा संगहे चेव, १. अनुकम्पा संग्रहश्चैव,
१. अनुकम्पादान-करुणा से देना। भये कालुणिए ति य। भयं कारुणिक इति च ।
२. संग्रहदान-सहायता के लिए देना।
३. भयदान-भय से देना। लज्जाए गारवेणंच, लज्जया गौरवेण च,
४. कारुण्यकदान-मत के पीछे देना। अहम्मे उण सत्तमे॥ अधर्मः पुनः सप्तमः ॥
५. लज्जादान-लज्जावश देना।
६. गौरवदान-यश के लिए देना, गर्वधम्मे य अट्ठमे वुत्ते, धर्मश्च अष्टमः उक्त:,
पूर्वक देना। काहीति य कतंति य॥ करिष्यतीति च कृतमिति च ॥
७. अधर्मदान-हिंसा, असत्य आदि पापों में आसक्त व्यक्ति को देना। ८. धर्मदान-संयमी को देना। ६. कृतमितिदान-अमुक ने सहयोग किया था, इसलिए उसे देना। १०. करिष्यतिदान-अमुक आगे सहयोग
करेगा, इसलिए उसे देना। गति-पदं गति-पदम्
गति-पद १८. दस विधा गती पण्णता, तं जहा- दशविधा गतिः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ६८. गति के दस प्रकार है
णिरयगती, णिरयविग्गहगती, निरयगतिः, निरयविग्रहगतिः, १. नरकगति, २. नरकविग्रहगति, तिरियगती, तिरियविग्गहगती, तिर्यग्गतिः, तिर्यविग्रहगतिः, ३. तिर्यञ्चगति, ४.तिर्यञ्चविग्रहगति, 'मणुयगती, मणुयविग्गहगती, मनुजगतिः, मनुजविग्रहगतिः,
५. मनुष्यगति, ६. मनुष्यविग्रहगति, देवगती, देवविग्गहगती, देवगतिः, देवविग्रहगतिः,
७. देवगति, . देवबिग्रहगति, सिद्धिगती, सिद्धि विग्गहगती। सिद्धिगतिः, सिद्धिविग्रहगतिः । ६. सिद्धिगति, १०. सिद्धिविग्रहगति। मुंड-पदं मुण्ड-पदम्
मुण्ड-पद ६६. दस मुंडा पण्णत्ता, तं जहा- दश मुण्डाः प्रज्ञप्ताः तद्यथा- ६६. मुण्ड के दस प्रकार हैंसोतिदियमुंडे, 'क्खिदियमुंडे, श्रोत्रेन्द्रियमुण्डः, चक्षुरिन्द्रियमुण्डः, । १. श्रोत्रेन्द्रिय मुण्ड-थोवेन्द्रिय के विकार
का अपनयन करने वाला। धाणिदियमुंडे, जिभिदियमुंडे,° घ्राणेन्द्रियमुण्डः, जिह्वन्द्रियमुण्डः,
२. चक्षुइन्द्रिय मुण्ड-चक्षुइन्द्रिय के फासिदियमुंडे, कोहमुंडे, स्पर्शेन्द्रियमुण्डः, क्रोधमुण्डः, मानमुण्डः, विकार का अपनयन करने वाला। •माणमुंडे, मायामुंडे, लोभमुंडे, मायामुण्डः, लोभमुण्डः, सिरोमुण्डः ।
३. ब्राण इन्द्रिय मुण्ड--प्राणइन्द्रिय के
विकार का अपनयन करने वाला। सिरमुंडे।
४. जिह्वाइन्द्रिय मुण्ड-रसनइन्द्रिय के विकार का अपनयन करने वाला। ५. स्पर्शइन्द्रिय मुण्ड-स्पर्शनइन्द्रिय के विकार का अपनयन करने वाला। ६. क्रोध मुण्ड ---क्रोध का अपनयन करने वाला। ७. मान मुण्ड-मान का अपनयन करने वाला । ८. माया मुण्ड-माया का अपनयन करने वाला । ६. लोभ मुण्डलोभ का अपनयन करने वाला।१०.शिर मुण्ड--शिर के केशों का अपनयन करने वाला।
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