________________
ठाणं (स्थान)
अनंत-पदं
६६. दसविहे अनंत पण्णत्ते, तं जहा णामाणंतर, ठवणाणंतए, दवात, गणात, पसाणंतए, एगतोणंतए, दुहतोणंतए, देस वित्थाराणंतए, सव्व वित्थाराणंतए, सास ताणंतए ।
पुव्ववत्थु -पदं
६७. उपाय पुसणं दस वत्थू पण्णत्ता । ६८. अस्थि त्थिष्पवाय पुव्वस्स णं दस चूलवत्थू पण्णत्ता ।
Jain Education International
६.१५
अनन्त-पदम्
दशविधं अनन्तकं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा—
नामानन्तकं, स्थापनानन्तकं,
द्रव्यानन्तकं, गणनानन्तकं, प्रदेशानन्तकं, एकतोनन्तकं, द्विधानन्तकं, देशविस्तारानन्तकं, सर्वविस्तारानन्तकं, शाश्वतानन्तकम् ।
पडसेवणा-पदं
६६. दस विहा पडिसेवणा पण्णत्ता, तं दशविधा
तद्यथा—
जहा. - संग्रहणी - गाहा
१. दप्प पमायणाभोगे,
आउरे आवतीसु य । संकिते सहसक्कारे, भयप्पओसा य वीमंसा ॥
पूर्ववस्तु-पदम्
उत्पादपूर्वस्य दश वस्तूनि प्रज्ञप्तानि । अस्तिनास्तिप्रवादपूर्वस्य दश चूलावस्तूनि प्रज्ञप्तानि ।
प्रतिषेवणा-पदम्
प्रतिषेवणा प्रज्ञप्ता,
संग्रहणी - गाथा १. दर्पः प्रमादोनाभोगः, आरे आपत्सु च । शङ्कि
सहसाकारे, भयं प्रदोषाच्च विमर्शः ॥
For Private & Personal Use Only
स्थान १० : सूत्र ६६-६६
अनन्त पद
६६. अनन्तक के दस प्रकार हैं
१. नाम अनन्तक - किसी वस्तु का अनंत ऐसा नाम । २. स्थापना अनन्तक - किसी वस्तु में अनन्तक की स्थापना [ आरोपण ] । ३. द्रव्य अनन्तक - परिणाम की दृष्टि से अनन्त । ४. गणना अनन्तक संख्या की दृष्टि से अनन्त । ५. प्रदेश अनन्तक-अवयवों की दृष्टि से अनन्त । ६. एकतः अनन्तक - एक ओर से अनन्त, जैसे-अतीत काल । ७. उभयतः अनन्तक दो ओर से अनन्त, जैसे- अतीत और अनागत काल | ८. देशविस्तार अनन्तकप्रतर की दृष्टि में अनन्त । ६. सर्वविस्तार अनन्तक व्यापकता की दृष्टि से अनन्त । १०. शाश्वत अनन्तक शाश्वतता की दृष्टि से अनन्त ।
पूर्ववस्तु पद
६७. उत्पाद पूर्व के वस्तु [ अध्याय ] दस हैं । ६८. अस्तिनास्तिप्रवाद पूर्व के चूला वस्तु दस
हैं । प्रतिषेवणा-पद
६६. प्रतिवेषणा के दस प्रकार हैं---
१. दर्पप्रतिषेवणा-दर्प [ उद्धतभाव ] से किया जाने वाला प्राणातिपात आदि का आसेवन । २. प्रमादप्रतिषेवणा- कषाय, विकथा आदि से किया जाने वाला प्राणातिपात आदि का सेवन । ३. अनाभोग प्रतिषेवणा- विस्मृतिवश किया जाने वाला प्राणातिपात आदि का आसेवन । ४. आतुरप्रतिषेवणा- भूख-प्यास और रोग से अभिभूत होकर किया जाने वाला प्राणातिपात आदि का आसेवन । ५. आपत् प्रतिषेवणा-आपदा प्राप्त होने पर किया जाने वाला प्राणातिपात आदि का आसेवन । ६. शंकित प्रतिषेवणा-एषणीय आहार आदि को भी शंका सहित लेने से होने वाला प्राणातिपात आदि का आसेवन । ७. सहसाकरणप्रतिषेवणाअकस्मात् होने वाला प्राणातिपात आदि का आसेवन । ८. भयप्रतिषेवणाभयवश होने वाला प्राणातिपात आदि का आसेवन । 8 प्रदोषप्रतिषेवणा— क्रोध आदि कषाय से किया जाने वाला प्राणातिपात आदि का सेवन । १०. विमर्शप्रतिषेवणा- शिष्यों की परीक्षा के लिए किया जाने वाला प्राणातिपात आदि का आसेवन
www.jainelibrary.org