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ठाणं (स्थान)
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स्थान १० : सूत्र २८-३१
राय-पदं
राज-पदम्
राज-पद २८. एयासु णं दससु रायहाणीसु दस एतासु दशसु राजधानीसु दश राजानः २८. इन दस राजधानियों में दस राजा मुंडित
रायाणो मुंडा भवेत्ता अगाराओ मुण्डाः भूत्वा अगाराद् अनगारितां होकर, अगार से अणगार अवस्था में अणगारियं° पन्वइया, तं जहा- प्रवजिता, तद्यथा
प्रवजित हुए थेभरहे, सगरे, मघवं, सणंकुमारे, भरतः, सगरः, मघवा, सनत्कुमारः, १. भरत, २. सगर, ३. मघवा, संती, कुंथू, अरे, महापउमे, शान्तिः, कुन्थुः, अरः, महापद्मः, ४. सनत्कुमार, ५. शान्ति, ६. कुन्थु, हरिसेणे, जयणामे । हरिषेणः, जयनामः।
७. अर, ८. महापद्म, ६. हरिषेण, १०. जय।
मंदर-पदं मन्दर-पदम्
मन्दर-पद २६. जंबुद्दीवे दीवे मंदरे पव्वए दस जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरः पर्वतः दश योजन- २६. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत एक हजार
जोयणसयाइं उन्वेहेणं, धरणितले शतानि उद्वेधेन, धरणितले दश योजन- योजन गहरा है-भूगर्भ में है । भूमितल दस जोयणसहस्साई विखंभेणं, सहस्राणि विष्कम्भेण, उपरि दश योजन- पर उसकी चौड़ाई दस हजार योजन की उरि दस जोयणसयाई विक्खंभेणं, शतानि विष्कम्भेण, दशदशानि योजन- है। ऊपर---पण्डकवन के प्रदेश में-एक दसदसाइं जोयणसहस्साई सव्वग्गेणं सहस्राणि सर्वाग्रेण प्रज्ञप्तः।
हजार योजन चौड़ा है। उसका सर्व परिपण्णते।
माण एक लाख योजन का है।
दिसा-पदं दिशा-पदम्
दिशा-पद ३०. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य बहु- ३०, जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के बहुमध्य
बहुमझदेसभागे इमीसे रयणप्प- मध्यदेशभागे अस्याः रत्नप्रभायाः । देशभाग में इसी रत्नप्रभा पृथ्वी के ऊपर भाए पुढवीए उवरिम-हेटिल्लेसु पृथिव्याः उपरितन-अधस्तनेषु क्षुल्लक- के क्षुल्लकप्रतर में गोस्तनाकार चार प्रदेश खुड्डगपतरेसु, एत्थ णं अट्ठपएसिए प्रतरेषु, अत्र अष्टप्रादेशिक: रुचकः ।
हैं तथा निचले क्षुल्लकप्रतर में भी गोस्तरुयगे पण्णत्ते, जओ णं इमाओ प्रज्ञप्तः, यत इमा दश दिशः प्रवहन्ति,
नाकार चार प्रदेश हैं। इस प्रकार यह दसदिसाओ पवहंति, तं जहा- तद्यथा
अष्टप्रादेशिक रुचक हैं। इससे दस दिशाएं पुरत्थिमा, पुरथिमदाहिणा, पौरस्त्या, पौरस्त्यदक्षिणा, दक्षिणा, निकलती हैंदाहिणा, दाहिणपच्चत्थिमा, दक्षिणपाश्चात्या, पाश्चात्या, १. पूर्व, २. पूर्व-दक्षिण, पच्चत्थिमा, पच्चत्थिमुत्तरा, पाश्चात्योत्तरा, उत्तरा, उत्तरपौरस्त्या, ३. दक्षिण, ४. दक्षिण-पश्चिम, उत्तरा, उत्तरपुरत्थिमा, उड्डा, ऊवं, अधः ।
५. पश्चिम, ६. पश्चिम-उत्तर, अहा।
७. उत्तर, ८. उत्तर-पूर्व,
१. ऊर्ध्व. १०. अधस् । ३१. एतासि णं दसण्हं दिसाणं दस एतासां दशानां दिशां दश नामधेयानि ३१. इन दस दिशाओं के दस नाम हैं
णामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा- प्रज्ञप्तानि, तद्यथा
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