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ठाणं (स्थान)
३. दस इंदियत्था तीता पण्णत्ता, तं दश इन्द्रियार्थाः अतीताः प्रज्ञप्ताः,
जहा ---
देसेणवि एगे सद्दाई सुणिसु । सव्वेणवि एगे सद्दाई सुणिसु । देसेण वि एगे ख्वाइं पासिसु । सव्वेवि एगे रुवाइं पासिसु । • देसेणवि एगे गंधाई जिधिसु । सव्वेणवि एगे गंधाई जिधिसु । देसेणवि एगे रसाई आसादेंसु । सव्वेणवि एगे रसाई आसादेंसु । देवि एगे फासाई पडिवे देंसु । सव्वेण वि एगे फासाई प डिसंवेदसु
।
४. दस इंदियत्था पडुप्पण्णा पण्णत्ता, तं जहा - देसेणवि एगे सद्दाई सुर्णेति । सव्वेणवि एगे सद्दाई सुर्णेति । • देसेणवि एगे रुवाई पासंति । सव्वेणवि एगे रुवाई पासंति । देसेणवि एगे गंधाई जिघंति । सव्वेणवि एगे गंधाई जिघंति । देसेणवि एगे रसाई आसादेति । सव्वेवि एगे रसाई आसादेति । देवि एगे फासाई पडसंवेदेति । सव्वेण वि एगे फासाई पडिसंवेदेति ।
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तद्यथा—
देशेनापि एके शब्दान् अश्रौषुः । सर्वेणापि एके शब्दान् अश्रौषुः । देशेनापि एके रूपाणि अद्राक्षुः । सर्वेणापि एके रूपाणि अद्राक्षुः । देशेनापि एके गन्धान् अघ्रासिषुः । सर्वेणापि एके गन्धान् अघ्रासिषुः । देशेनापि एके रसान् अस्वादिषत । सर्वेणापि एके रसान् अस्वादिषत । देशेनापि एके स्पर्शान् प्रतिसमवेदयन् । सर्वेणापि एके स्पर्शान् प्रतिसमवेदयन् ।
दश इन्द्रियार्थाः प्रत्युत्पन्नाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-देशेनापि एके शब्दान् शृण्वन्ति । सर्वेणापि एके शब्दान् शृण्वन्ति । देशेनापि एके रूपाणि पश्यन्ति । सर्वेणापि एके रूपाणि पश्यन्ति । देशेनापि एके गन्धान् जिघ्रन्ति । सर्वेणापि एके गन्धान् जिघ्रन्ति । देशेनापि एके रसान् आस्वदन्ते । सर्वेणापि एके रसान् आस्वदन्ते । देशेनापि एके स्पर्शान् प्रतिसंवेदयन्ति । सर्वेणापि एके स्पर्शान् प्रतिसंवेदयन्ति ।
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स्थान १० : सूत्र ६२
३. इन्द्रियों के अतीतकालीन विषय दस हैं ---- १. किसी ने शरीर के एक भाग से भी शब्द सुने थे।
२. किसी ने समस्त शरीर से भी शब्द सुने थे ।
३. किसी ने शरीर के एक भाग से भी रूप देखे थे ।
४. किसी ने समस्त शरीर से भी रूप देखे थे ।
५. किसी ने शरीर के एक भाग से भी गंध सूंघे थे ।
६. किसी ने समस्त शरीर से भी गंध सूंघे थे ।
७. किसी ने शरीर के एक भाग से भी रस चखे थे ।
८. किसी ने समस्त शरीर से भी रस चखे थे ।
६. किसी ने शरीर के एक भाग से भी स्पर्शो का संवेदन किया था।
१०. किसी ने समस्त शरीर से भी स्पर्शो का संवेदन किया था ।
४. इन्द्रियों के वर्तमानकालीन विषय दस हैं-१. कोई शरीर के एक भाग से भी शब्द सुनता है ।
२. कोई समस्त शरीर से भी शब्द सुनता है |
३. कोई शरीर के एक भाग से भी रूप देखता है ।
४. कोई समस्त शरीर से भी रूप देखता है |
५. कोई शरीर के एक भाग से भी गंध सूंघता है।
६. कोई समस्त शरीर से भी गंध संघता है ।
७. कोई शरीर के एक भाग से भी रस चखता है ।
८. कोई समस्त शरीर से भी रस चखता है ।
६. कोई शरीर के एक भाग से भी स्पर्शो
का संवेदन करता है।
१०. कोई समस्त शरीर से भी स्पर्शो का संवेदन करता है ।
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