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ठाणं (स्थान)
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स्थान : सूत्र ४६-५२ ४६. जंबुद्दीवे दीवे मालवतवक्खार जम्बूद्वीपे द्वीपे माल्यवत्वक्षस्कारपर्वते ४६. जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत के (उत्तर पव्वते णव कूडा पण्णत्ता, तं जहा- नव कूटानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा
में उत्तरकुरा के पश्चिम पार्श्व में] माल्य
वान् वक्षस्कार पर्वत के नौ कूट हैं१. सिद्धे य मालवंते, १. सिद्धश्च माल्यवान,
१. सिद्धायतन, २. माल्यबान्, उत्तरकुरु कच्छ सागरे रयते।। उत्तरकुरु: कच्छ: सागरः रजतः ।
३. उत्तरकुरु, ४. कच्छ, ५. सागर, सीता य पुण्णणामे, शीता च पूर्णनामा,
६. रजत, ७. शीता, ८. पूर्णभद्र, हरिस्सहकूडे य बोद्धब्वे ॥ हरिस्सहकूटं च बोद्धव्यम् ॥ ६. हरिस्सह। ४७. जंबुट्टीवे दीवे कच्छे दोहवेयड्रेणव जम्बूद्वीपे द्वीपे कच्छे दीर्घवैताठ्ये नव ४७. जम्बूद्वीप द्वीप के कच्छवर्ती दीर्घवैताढ्य कूडा पण्णत्ता, तं जहा- कूटानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा
के नौ कूट हैं
१. सिद्धायतन, १. सिद्ध कच्छे खंडग,
२. कच्छ, १. सिद्धः कच्छ: खण्डकः,
३. खण्डकप्रपातगुहा, ४. माणिभद्र, माणी वेयड्ड पुण्ण तिमिसगुहा। माणिः वैताढ्यः पूर्णः तमिस्रगुहा ।
५. वैताढ्य, ६. पूर्णभद्र, कच्छे वेसमणे या, कच्छो वैश्रवणश्च,
७. तमिस्रगृहा, ८. कच्छ, कच्छे कडाण णामाई। कच्छे कूटानां नामानि । ६. वैश्रमण। ४८. जंबुद्दीवे दीवे सुकच्छे दोहवेयड्ड जम्बूद्वीपे द्वीपे सुकच्छे दीर्घवैताढ्ये ४८. जम्बूद्वीप द्वीप के सुकच्छवर्ती दीर्घवैताढ्य णव कूडा पण्णत्ता, तं जहा- नव कूटानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा
के नौ कूट हैं१. सिद्धे सुकच्छे खंडग, १. सिद्धः सुकच्छः खण्डकः,
१.सिद्धायतन, २. सुकच्छ,
३. खण्डकप्रपातगुहा, ४. माणिभद्र, माणी वेयड्ड पुण्ण तिमिसगुहा। माणिः वैताढ्यः पूर्णः तमिस्रगुहा।
५. वैताढ्य, ६. पूर्णभद्र, सुकच्छे वेसमणे या, सुकच्छो वैश्रमणश्च,
७. तमिस्रगुहा, ८. सुकच्छ, सुकच्छे कूडाण णामाई। सुकच्छे कुटानां नामानि ।। ६. वैश्रमण । ४६. एवं जाव पोक्खलावइम्मि एवम् यावत् पुष्कलावत्यां ४६. इसी प्रकार महाकच्छ, कच्छकावती, दोहवेयड्ड । दीर्घवैताढ्ये।
आवर्त, मंगलावर्त, पुष्कल और पुष्कलावती में विद्यमान दीर्घवैताढ्य के नौ-नौ
कूट हैं। ५०. एवं वच्छे दोहवेयड्ड। एवं वत्से दीर्घवैतादये।
५०. इसी प्रकार वत्स में विद्यमान दीर्घवैताढ्य
के नौ कूट हैं। ५१. एवं जाव मंगलावतिम्मि दोहवेयड्ड। एवं यावत् मङ्गलावत्यां दीर्घ- ५१. इसीप्रकार सुवत्स, महावत्स, वत्सकावती, वैताये।
रम्य, रम्यक, रमणीय और मंगलावती में
विद्यमान दीर्घवैताढ्य के नौ-नौ कुट हैं। ५२. जंबुद्दीवे दीवे विज्जुप्पभे वक्खार- जम्बूद्वीपे द्वीपे विद्युत्प्रभे वक्षस्कार- ५२. जम्बुद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत के विद्युत्प्रभ
पन्वते णव कूडा पण्णत्ता, तं जहा- पर्वते नव कूटानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- वक्षस्कार पर्वत के नौ कुट हैं१. सिद्धे अ विज्जुणामे, १. सिद्धश्च विद्युन्नामा,
१.सिद्धायतन, २. विद्युत्प्रभ, देवकुरा पम्ह कणग सोवत्थी। देवकुरा पद्म कनकं सौवस्तिकः । ३. देवकुरा, ४. पक्ष्म, ५. कनक, सीओदा य सयजले, शीतोदा च शतज्वलः,
६. स्वस्तिक, ७. शीतोदा, ८. शतज्वल, हरिकूडे चेव बोद्धव्वे ॥ हरिकूट चैव बौद्धव्यम् ।। ६. हरि।
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