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ठाणं (स्थान)
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स्थान ६ : सूत्र ११-१२
अहवा..- णवविहा सव्वजीवा। पण्णत्ता, तं जहापढमसमयणेरइया, अपढमसमयणेरइया, 'पढमसमयतिरिया, अपढमसमयतिरिया, पढमसमयमणुया, अपढमसमयमणुया, पढमसमयदेवा, अपढमसमयदेवा, सिद्धा।
अथवा_नवविधाः सर्वजीवाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाप्रथमसमयनैरयिकाः, अप्रथमसमयनै रयिका:, प्रथमसमयतिर्यञ्च:, अप्रथमसमयतिर्यञ्चः, प्रथमसमयमनुजाः, अप्रथमसमयमनुजाः, प्रथमसमयदेवाः, अप्रथमसमयदेवा:. सिद्धाः।
अथवा-सब जीव नौ प्रकार के हैं१. प्रथम समय नै रयिक। २. अप्रथम समय नरयिक । ३. प्रथम समय तिर्यञ्च। ४. अप्रथम समय तिर्यञ्च । ५. प्रथम समय मनुष्य। ६. अप्रथम समय मनुष्य। ७. प्रथम समय देव। ८. अप्रथम समय देव। ६.सिद्ध।
ओगाहणा-पदं अवगाहना-पदम्
अवगाहना-पद ११. णवविहा सव्वजीवोगाहणा पण्णत्ता, नवविधा सर्वजीवावगाहना प्रज्ञप्ता, ११. सब जीवों को अवगाहना नौ प्रकार की तं जहातद्यथा
होती हैपुढविकाइओगाहणा, पृथिवीकायिकावगाहना,
१. पृथ्वीकायिक अवगाहना। आउकाइओगाहणा, अप्कायिकावगाहना,
२. अप्कायिक अवगाहना। 'तेउकाइओगाहणा, तेजस्कायिकावगाहना,
३. तेजस्कायिक अवगाहना। वाउकाइओगाहणा, वायुकायिकावगाहना,
४. वायुकायिक अवगाहना। वणस्स इकाइओगाहणा, वनस्पतिकायिकावगाहना,
५. वनस्पतिकायिक अवगाहना। बेइंदियओगाहणा, द्वीन्द्रियावगाहना,
६. द्वीन्द्रिय अवगाहना। तेइंदियओगाहणा, त्रीन्द्रियावगाहना,
७. त्रीन्द्रिय अवगाहना। चरिदियओगाहणा, चतुरिन्द्रियावगाहना,
८. चतुरिन्द्रिय अवगाहना। पंचिदियओगाहणा। पञ्चेन्द्रियावगाहना।
६. पञ्चेन्द्रिय अवगाहना।
संसार-पदं संसार-पदम्
संसार-पद १२. जोवा णं णहि ठाणेहि संसारं जीवाः नवभिः स्थानः संसारं अवतिषत १२. जीवों ने नौ स्थानों से संसार में परिवर्तन
किया था, करते हैं और करेंगेवत्तिसु वा वत्तंति वा वत्तिस्संति वा वर्तन्ते वा वतिष्यन्ते वा,
१. पृथ्वीकाय के रूप में। वा, तं जहातद्यथा
२.अप्काय के रूप में।
३. तेजस्काय के रूप में। पुढविकाइयत्ताए, 'आउकाइयत्ताए, पृथिवीकायिकतया, अप्कायिकतया,
४. वायूकाय के रूप में। तेउकाइयत्ताए, वाउकाइयत्ताए, तेजस्कायिकतया, वायुकायिकतया, ५. वनस्पतिकाय के रूप में। वणस्सइकाइयत्ताए, बेइंदियत्ताए, वनस्पतिकायिकतया, द्वीन्द्रियतया,
६. द्वीन्द्रिय के रूप में।
७. वीन्द्रिय के रूप में। तेइंदियत्ताए, चरिंदियत्ताए,' त्रीन्द्रियतया, चतुरिन्द्रियतया,
८. चतुरिन्द्रिय के रूप में। पंचिदियत्ताए। पञ्चेन्द्रियतया।
६. पञ्चेन्द्रिय के रूप में।
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