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ठाणं (स्थान)
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स्थान ६ : आमुख
इसी प्रकार सूत्र १५, १६ नक्षत्रों की चन्द्रमा के साथ स्थिति तथा अन्यान्य ज्योतिष के सूत्र भी संकलित हैं। ६८वें सूत्र में शुक्र-ग्रहण के भ्रमण-क्षेत्र को नौ विधियों में बांटकर उसका विवरण प्रस्तुत किया गया है।
सूत्र ६२ में राजा, ईश्वर, तलवार आदि अधिकारी वर्ग का उल्लेख है। इससे उस समय में प्रचलित विभिन्न नियुक्तियों का आधार मिलता है। टीकाकार ने राजा से महामांडलिक, जो आठ हजार राजाओं का अधिपति होता था, का ग्रहण किया है। इसी प्रकार अन्यान्य व्याख्याओं से भी उस समय की राज्य-व्यवस्था तथा सामाजिक व्यवस्था का जवबोध हो आता है। देखें टिप्पण संख्या २९ से ३७ । इस प्रकार इस स्थान में भगवान पार्श्व, भगवान महावीर तथा महाराज श्रेणिक के विषय में विविध जानकारी मिलती है। कुछेक श्रावक-श्राविकाओं के जीवनोत्कर्ष का भी कथन प्राप्त है। इसलिए यह ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
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