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________________ ठाणं (स्थान) ८३० तथा कहीं-कहीं आर्थिक भिन्नता भी है। वह इस प्रकार है १. आचार संपदा - १. चरणयुत, २. मदरहित, ३. अनियतवृत्ति, ४ अचंचल | २. श्रुतसंपदा - १. युग (युग प्रधानता ), २. परिचितसूत्र, ३. उत्सर्गी ४. उदात्तघोष । ३. शरीर संपदा - १. चतुरस्र, २. अकुटादि - परिपूर्ण कर्मेन्द्रियता, ३. बधिरत्ववर्जित- अविकल इन्द्रियता ४ तप: समर्थ ---- सभी प्रकार की तपस्या करने में समर्थ । ४. वचन संपदा ---- १. वादी, २. मधुर वचन, ३. अनिश्रित वचन, ४. स्फुट वचन । ५. वाचना संपदा - ६. मति संपदा - १. योग्य वाचना -- शिष्य की योग्यता को जानकर उद्देशन, समुद्देशन देना । २. परिणत वाचना - पहले दी हुई वाचना को हृदयंगम कराकर आगे की वाचना देना । ३. निर्यापयिता - वाचना का अन्त तक निर्वाह करता । ४. निर्वाहक- पूर्वापर की संगति बिठाकर अर्थ का निर्वाह करना । Jain Education International १. अवग्रह, २. ईहा, ३. अवाय, ४. धारणा । ७. प्रयोगमति संपदा ---- १. शक्तिज्ञानवाद करने की अपनी शक्ति का ज्ञान । २. पुरुषज्ञान -- वादी के मत का ज्ञान । ३. क्षेत्रज्ञान, ४. वस्तुज्ञान । ८. संग्रह परिज्ञा स्थान ८ : टि० १६ १. गणयोग्य उपग्रह - गण के निर्वाह योग्य क्षेत्र का संकलन । २. संसक्त संपद् व्यक्तियों को अनुरूप देशना देकर उन्हें आकृष्ट करना । ३. स्वाध्याय संपद्यथा समय स्वाध्याय, प्रत्युत्प्रेक्षण, भिक्षाटन उपधिग्रहण की व्यवस्था करना । ४. शिक्षा उपसंग्रह संपद् गुरु, प्रव्राजक, अध्यापक, रत्नाधिक आदि मुनियों का भार वहन करने, वैयावृत्य करने तथा विनय करने की शिक्षा देने में समर्थ । ' प्रवचन सारोद्धार के वृत्तिकार ने मतान्तरों का भी उल्लेख किया है। उन्होंने जो ये उपभेद किए हैं उनका आधार दशाgतस्कंध से कोई भिन्न ग्रन्थ रहा है। १. प्रवचनसारोद्धार, गाथा ५४३-५४६ चरणजुओ मयरहियो अनिययवित्ती अचंचलो चैव । जुग परिचिय उस्सग्गी उदत्तघोसाइ विन्नेओ । चसो कुटाई बहिरत्तणवज्जो तवे सत्तो । वाई महुरत्त निस्सिय फुडवयणो संपया वयणेत्ति ॥ जोगो परियणवायण निज्जविया वायणाए निव्वहणे । ओह ईहावाया धारण भइसंपया चउरोति ॥ सत्ती पुरिसं खेत्तं वत्युं नाउं पयोजए वायं । गणजोगं संसतं सज्झाए सिक्खणं जाणे ॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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