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ठाणं (स्थान)
स्थान २: सूत्र ३६-३६ पेज्जवत्तिया चेव, प्रेयःप्रत्यया चैव,
प्रेयःप्रत्यया--प्रेयस् के निमित्त से होने
वाली क्रिया। दोसवत्तिया चेव। द्वेषप्रत्यया चैव।
दोषप्रत्यया-द्वेष के निमित्त से होने..
वाली क्रिया। ३६. पेज्जवत्तिया किरिया दुविहा प्रेयःप्रत्यया क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, ३६. प्रेयःप्रत्यया क्रिया दो प्रकार की हैपण्णत्ता, तं जहा
तद्यथामायावत्तिया चेव, मायाप्रत्यया चैव,
मायाप्रत्यया। लोभवत्तिया चेव। लोभप्रत्यया चैव।
लोभप्रत्यया। ३७. दोसवत्तिया किरिया दुविहा द्वेषप्रत्यया क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, ३७. दोषप्रत्यया क्रिया दो प्रकार की है - पण्णत्ता, तं जहा
तद्यथाकोहे चेव, माणे चेव। क्रोधश्चैव, मानश्चैव।
क्रोधप्रत्यया। मानप्रत्यया"।
गरहा-पदं
गर्हा-पदम् ३८. दुविहा गरिहा पण्णत्ता तं जहा- द्विविधा गर्दा प्रज्ञप्ता, तद्यथामणसा वेगे गरहति,
मनसा वैकः गर्हते, वयसा वेगे गरहति।
वचसा वैकः गहते। अहवा- गरहा दुविहा पण्णत्ता, अथवा---गर्दा द्विविधा प्रज्ञप्ता, तं जहा
तद्यथादोहं वेगे अद्धं गरहति, दीर्घ वैकः अद्ध्वानं गर्हते, रहस्सं वेगे अद्धं गरहति। ह्रस्वं वैक: अद्ध्वानं गर्हते।
गर्हा-पद ३८. गर्दा दो प्रकार की है
कुछ लोग मन से गर्दा करते हैं। कुछ लोग वचन से गर्दा करते हैं। अथवा-गर्दा दो प्रकार की है
कुछ लोग दीर्घकाल तक गर्दा करते हैं। कुछ लोग अल्पकाल तक गर्दा करते हैं ।
पच्चक्खाण-पदं प्रत्याख्यान-पदम
प्रत्याख्यान-पद ३६. दुविहे पच्चक्खाणे पण्णत्ते, तं द्विविधं प्रत्याख्यानं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा- ३६. प्रत्याख्यान दो प्रकार का है
जहामणसा वेगे पच्चक्खाति, मनसा वैकः प्रत्याख्याति,
कुछ लोग मन से प्रत्याख्यान करते हैं। वयसा वेगे पच्चक्खाति। वचसा वैक: प्रत्याख्याति ।
कुछ लोग वचन से प्रत्याख्यान करते हैं। अहवा-पच्चक्खाणे दुविहे अथवा–प्रत्याख्यानं द्विविधं प्रज्ञप्तम्, अथवा-प्रत्याख्यान दो प्रकार का हैपण्णत्ते, तं जहा
तद्यथादोहं वेगे अद्धं पच्चक्खाति, दीर्घ वैकः अद्ध्वानं प्रत्याख्याति, कुछ लोग दीर्घकाल तक प्रत्याख्यान
करते हैं। रहस्सं वेगे अद्धं पच्चक्खाति। ह्रस्वं वैकः अद्ध्वानं प्रत्याख्याति । कुछ लोग अल्पकाल तक प्रख्यात्यान
करते हैं।
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