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ठाणं (स्थान)
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३०. आणवणिया किरिया दुविहा आज्ञापनिका क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता,
तद्यथा— जीवाज्ञापनिका चैव,
पण्णत्ता, तं जहाजीवआणवणिया चेव,
अजीवआणवणिया चेव ।
३१. वेयारणिया किरिया दुविहा वैदारणिका क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता,
पण्णत्ता, तं जहाजीववेयारणिया चेव,
तद्यथाजीववैदारणिका चैव,
अजीववैदारणिका चैव ।
किरियाओ पण्णत्ताओ द्वे क्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा
अनाभोगप्रत्यया चैव,
अजीववेयारणिया चेव ।°
३२. दो
तं जहाअणाभोगवत्तिया चेव,
अणवकखवत्तिया चेव ।
अणाउत्तपमज्जणता चेव ।
३३. अणाभोगवत्तिया किरिया दुविहा अनाभोगप्रत्यया क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता,
तद्यथा
पण्णत्ता, तं जहा अणाउत्तआइयणता चेव,
अनायुक्तादानता चैव,
अनायुक्ताप्रमार्जनता चैव ।
३४. अणवखव त्तिया किरिया दुविहा अनवकाङ्क्षाप्रत्यया क्रिया द्विविधा
पण्णत्ता, तं जहाआयसरीरअणवकखवत्तिया चेव,
परसरीरअणवकखव त्तिया चेव ।
अजीवाज्ञापनिका चैव ।
३५. दो कि रियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा
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अनवकाङ्क्षाप्रत्यया चैव ।
प्रज्ञप्ता, तद्यथाआत्मशरीरानवकाङ्क्षाप्रत्यया चैव,
परशरीरानवकाङ्क्षाप्रत्यया चैव ।
क्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा
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स्थान २ : सूत्र ३०-३५
३०. आज्ञापनी क्रिया दो प्रकार की है-
जीवआज्ञापनी — जीव के विषय में आज्ञा देने से होनेवाली क्रिया । अजीव आज्ञापनी अजीव के विषय में आज्ञा देने से होनेवाली क्रिया ।
३१. वेदारिणी क्रिया दो प्रकार की है---
जीववदारिणी - जीव के स्फोट से होने
वाली क्रिया ।
अजीव वैदारिणी - अजीव के स्फोट से होनेवाली क्रिया ।
३२. क्रिया दो प्रकार की है
अनाभोगप्रत्यया - असावधानी से होनेवाली क्रिया ।
अनवकांक्षाप्रत्यया अपेक्षा न रखकर ( परिणाम की चिता किये बिना ) की जानेवाली क्रिया ।
३३. अनाभोगप्रत्यया क्रिया दो प्रकार की है—
अनायुक्त आदानता - असावधानी वस्त्र आदि लेना ।
अनायुक्त प्रमार्जनता - असावधानी से पात्र आदि का प्रमार्जन करना ।
३४. अनवकांक्षाप्रत्यया क्रिया दो प्रकार की
से
आत्मशरीरअनवकांक्षाप्रत्यया अपने शरीर की अपेक्षा न रखकर की जानेवाली क्रिया । परशरीरअनवकांक्षाप्रत्यया दूसरे के शरीर की अपेक्षा न रखकर की जानेवाली क्रिया" |
३५. क्रिया दो प्रकार की है
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