SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ठाणं (स्थान) ४१ ३०. आणवणिया किरिया दुविहा आज्ञापनिका क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा— जीवाज्ञापनिका चैव, पण्णत्ता, तं जहाजीवआणवणिया चेव, अजीवआणवणिया चेव । ३१. वेयारणिया किरिया दुविहा वैदारणिका क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, पण्णत्ता, तं जहाजीववेयारणिया चेव, तद्यथाजीववैदारणिका चैव, अजीववैदारणिका चैव । किरियाओ पण्णत्ताओ द्वे क्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा अनाभोगप्रत्यया चैव, अजीववेयारणिया चेव ।° ३२. दो तं जहाअणाभोगवत्तिया चेव, अणवकखवत्तिया चेव । अणाउत्तपमज्जणता चेव । ३३. अणाभोगवत्तिया किरिया दुविहा अनाभोगप्रत्यया क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा पण्णत्ता, तं जहा अणाउत्तआइयणता चेव, अनायुक्तादानता चैव, अनायुक्ताप्रमार्जनता चैव । ३४. अणवखव त्तिया किरिया दुविहा अनवकाङ्क्षाप्रत्यया क्रिया द्विविधा पण्णत्ता, तं जहाआयसरीरअणवकखवत्तिया चेव, परसरीरअणवकखव त्तिया चेव । अजीवाज्ञापनिका चैव । ३५. दो कि रियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा Jain Education International अनवकाङ्क्षाप्रत्यया चैव । प्रज्ञप्ता, तद्यथाआत्मशरीरानवकाङ्क्षाप्रत्यया चैव, परशरीरानवकाङ्क्षाप्रत्यया चैव । क्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा For Private & Personal Use Only स्थान २ : सूत्र ३०-३५ ३०. आज्ञापनी क्रिया दो प्रकार की है- जीवआज्ञापनी — जीव के विषय में आज्ञा देने से होनेवाली क्रिया । अजीव आज्ञापनी अजीव के विषय में आज्ञा देने से होनेवाली क्रिया । ३१. वेदारिणी क्रिया दो प्रकार की है--- जीववदारिणी - जीव के स्फोट से होने वाली क्रिया । अजीव वैदारिणी - अजीव के स्फोट से होनेवाली क्रिया । ३२. क्रिया दो प्रकार की है अनाभोगप्रत्यया - असावधानी से होनेवाली क्रिया । अनवकांक्षाप्रत्यया अपेक्षा न रखकर ( परिणाम की चिता किये बिना ) की जानेवाली क्रिया । ३३. अनाभोगप्रत्यया क्रिया दो प्रकार की है— अनायुक्त आदानता - असावधानी वस्त्र आदि लेना । अनायुक्त प्रमार्जनता - असावधानी से पात्र आदि का प्रमार्जन करना । ३४. अनवकांक्षाप्रत्यया क्रिया दो प्रकार की से आत्मशरीरअनवकांक्षाप्रत्यया अपने शरीर की अपेक्षा न रखकर की जानेवाली क्रिया । परशरीरअनवकांक्षाप्रत्यया दूसरे के शरीर की अपेक्षा न रखकर की जानेवाली क्रिया" | ३५. क्रिया दो प्रकार की है www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy