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________________ ठाणं (स्थान) ७४२ स्थान ७: सूत्र ११०-११३ णंदीसरवर-पदं नन्दीश्वरवर-पदम् नन्दीश्वरवर-पद ११०. णंदिस्सरवरस्स णं दीवस्स अंतो नन्दीश्वरवरस्य द्वीपस्य अन्तः सप्त द्वीपाः ११०. नन्दीश्वर वरद्वीप के अन्तराल में सात सत्त दीवा पण्णत्ता, तं जहा- प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-- द्वीप हैं। जंबुद्दीवे, धायइसंडे, पोक्खरवरे, जम्बूद्वीपः, धातकीषण्डः, पुष्करवरः, १. जम्बूद्वीप, २. धातकीषण्ड, वरुणवरे, खीरवरे, घयवरे, वरुणवरः क्षीरवरः, घृतवरः, क्षोदवरः। ३. पुष्करवर, ४. वरुणवर, ५. क्षीरवर, खोयवरे। ६. घृतवर, ७. क्षोदवर। १११. णंदीसरवरस्स णं दीवस्स अंतो नन्दीश्वरवरस्य द्वीपस्य अन्तः सप्त १११. नन्दीश्वरवरद्वीप के अन्तराल में सात सत्त समुद्दा पण्णत्ता, तं जहा- समुद्राः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा समुद्र हैं--- लवणे, कालोदे, पुवखरोदे, वरुणोदे, लवणः, कालोदः, पुष्करोदः, वरुणोदः, । १. लवण, २. कालोद, ३. पुष्करोद, खीरोदे, घओदे, खोओदे। क्षीरोदः, घृतोदः, क्षोदोदः। ४. वरुणोद, ५.क्षीरोद, ६. घृतोद, ७. क्षोदोद। सेढि-पदं श्रेणि-पदम् श्रेणि-पद ११२. सत्त सेढीओ पण्णत्ताओ, तं जहा- सप्त श्रेण्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ११२. श्रेणियां -आकाश की प्रदेशपंक्तियां उज्जुआयता,एगतोवंका,दुहतोवंका, ऋज्वायता, एकतोवक्रा, द्वितोवक्रा, सात हैंएगतोखहा, दुहतोखहा, एकतःखहा, द्वितःखहा, चक्रवाला, १. ऋजुआयता--जो सीधी और लंबी हो। चक्कवाला, अद्धचक्कवाला। अर्धचक्रवाला। २. एकतोवक्रा-जो एक दिशा में वक्र हो। ३. द्वितोवक्रा--जो दोनों ओर वक्र हो। ४. एकतःखहा-जो एक दिशा में अंकुश की तरह मुड़ी हुई हो; जिसके एक ओर वसनाड़ी का आकाश हो। ५. द्वितः खहा--जो दोनों ओर अंकुश की तरह मुड़ी हुई हो; जिसके दोनों ओर वसनाड़ी के बाहर का आकाश हो। ६. चक्रवाला-जो वलय की आकृतिवाली हो। ७. अर्द्धचक्रवाला—जो अर्द्धवलय की आतिवाली हो। अणिय-अणियाहिवइ-पदं अनीक-अनीकाधिपति-पदम् अनीक-अनीकाधिपति-पद ११३. चमरस णं असुरिंदस्स असुर- चमरस्य असुरेन्द्रस्य असुरकुमारराजस्य ११३. असुरेन्द्र असुरकुमारराजचमर के सात कुमाररण्णो सत्त अणिया, सत्त सप्त अनीकानि, सप्त अनीकाधिपतयः सेनाएं और सात सेनापति हैंअणियाधिपती पण्णत्ता, तं जहा- प्रज्ञप्ताः, तद्यथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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