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ठाणं (स्थान)
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स्थान २ : सूत्र -१४
६. पाओसिया किरिया दुविहा प्रादोषिकी क्रिया द्विधा प्रज्ञप्ता, ६. प्रादोषिकी क्रिया दो प्रकार की हैपण्णत्ता,तं जहा
तद्यथाजीवपाओसिया चेव, जीवप्रादोषिकी चैव,
जीवप्रादोषिकी-जीव के प्रति होने
वाला मात्सर्य। अजीवपाओसिया चेव। अजीवप्रादोषिकी चैव।
अजीवप्रादोषिकी-अजीव के प्रति होने
वाला मात्सर्य"। १०. पारियावणिया किरिया दुविहा पारितापनिकी क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, १०. पारितापनिकी क्रिया दो प्रकार की हैपण्णत्ता, तं जहा
तद्यथासहत्थपारियावणिया चेव, स्वहस्तपारितापनिकी चैव,
स्वहस्तपारितापनिकी-अपने हाथ से
स्वयं या दूसरे को परिताप देना। परहत्थपारियावणिया चेव। परहस्तपारितापनिकी चैव ।
परहस्तपारितापनिकी-दूसरे के हाथ से स्वयं या दूसरे को परिताप
दिलाना। ११. दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं द्वे क्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा
११. क्रिया दो प्रकार की है
जहा
तद्यथा
पाणातिवायकिरिया चेव, प्राणातिपातक्रिया चैव,
प्राणातिपातक्रिया-जीव-वध से होने
वाला कर्म-बंध। अपच्चक्खाणकिरिया चेव। अप्रत्याख्यानक्रिया चैव।
अप्रत्याख्यानक्रिया-अविरति से होने
वाला कर्म-बंध। १२. पाणातिवायकिरिया दुविहा पाणातिपातक्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, १२. प्राणातिपातक्रिया दो प्रकार की है
पण्णत्ता, तं जहासहत्थपाणातिवायकिरिया चेव, स्वहस्तप्राणातिपात क्रिया चैव, स्वहस्तप्राणातिपातक्रिया--अपने हाथ
से अपने या दूसरे के प्राणों का अतिपात
करना। परहत्थपाणातिवायकिरिया चेव। परहस्तप्राणातिपातक्रिया चैव । परहस्तप्राणातिपातक्रिया--दूसरे के
हाथ से अपने या दूसरे के प्राणों का
अतिपात करवाना। १३. अपच्चक्खाणकिरिया
अप्रत्याखानक्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, १३. अप्रत्याख्यानक्रिया दो प्रकार की हैपण्णत्ता, तं जहा
तद्यथाजीवअपच्चक्खाणकिरिया चेव, जीवअप्रत्याख्यानक्रिया चैव,
जीवअप्रत्याख्यानक्रिया-जीवविषयक
अविरति से होनेवाला कर्म-बंध। अजीवअपच्चक्खाणकिरिया चेव। अजीवअप्रत्याख्यानक्रिया चैव।
अजीवअप्रत्याख्यानक्रिया-अजीवविषयक
अविरति से होनेवाला कर्म-बंध" । १४. दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं द्वे क्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा
१४. क्रिया दो प्रकार की है--- जहा
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