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ठाणं (स्थान)
स्थान २ : सूत्र ३-८ ३. जीवकिरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जीवक्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा- ३. जीव क्रिया दो प्रकार की हैजहासम्मतकिरिया चेव। सम्यक्त्वक्रिया चैव,
सम्यक्त्व क्रिया-सम्यक् क्रिया। मिच्छत्तकिरिया चेव। मिथ्यात्वक्रिया चैव।
मिथ्यात्व क्रिया-मिथ्या क्रिया । ४. अजीवकिरिया दुविहा पण्णत्ता, तं अजीवक्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा- ४. अजीव क्रिया दो प्रकार की है
जहाइरियावहिया चेव, ऐपिथिकी चैव,
ऐर्यापथिकी-वीतराग के होनेवाला
कर्मबन्ध । संपराइगा चेव । सांपरायिकी चैव।
सांपरायिकी-कषाय-युक्त जीव के होने
वाला कर्मबन्ध। ५. दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं द्वे क्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा
५. क्रिया दो प्रकार की हैजहाकाइया चेव, कायिकी चैव,
कायिक-काया की प्रवृत्ति। अहिगरणिया चेव। आधिकरणिकी चैव।
आधिकरणिकी-शस्त्र आदि की
प्रवृत्ति। ६. काइया किरिया दुविहा पण्णता, कायिकी क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, ६. कायिकी क्रिया दो प्रकार की हैतं जहा
तद्यथाअणुवरयकायकिरिया चेव, अन परतकायक्रिया चैव,
अनुपरतकायक्रिया-विरति-रहित व्यक्ति
की काया की प्रवृत्ति। दूपउत्तकायकिरिया चेव । दुष्प्रयुक्तकायक्रिया चैव ।
दुष्प्रयुक्तकायक्रिया-इन्द्रिय और मन के विषयों में आसक्त मुनि की काया की
प्रवृत्ति। ७. अहिगरणिया किरिया दुविहा आधिकरणिकी क्रिया द्विविधा प्रज्ञप्ता, ७. आधिकरणिकी क्रिया दो प्रकार की हैपण्णत्ता, तं जहा
तद्यथासंजोयणाधिकरणिया चेव, संयोजनाधिकरणिकी चैव,
संयोजनाधिकरणिकी-पूर्व-निर्मित भागों को जोड़कर शस्त्र-निर्माण करने की
क्रिया। णिव्वत्तणाधिकरणिया चेव। निर्वर्तनाधिकरणिकी चैव ।
निर्वर्तनाधिकरणिकी-नये सिरे से शस्त्र
निर्माण करने की क्रिया"। ८. दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं द्वे क्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा
८. क्रिया दो प्रकार की हैजहापाओसिया चेव, प्रादोषिकी चैव,
प्रादोषिकी-मात्सर्य की प्रवृत्ति। पारियावणिया चेव। पारितापनिकी चैव।
पारितापनिकी-परिताप देने की प्रवृत्ति।
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