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स्थान ७ : सूत्र ८२-८३
मगं (स्थान)
७३८ ४. आयरिय-उवज्झाए अंतो ४. आचार्योपाध्यायः अन्त: उपाश्रयस्य उवस्सयस्स एगरातं वा दुरातं वा एकरात्रं वा द्विरात्रं वा एकको वसन् एगगो वसमाणे णातिक्कमति। नातिक्रामति । ५. आयरिय-उवज्झाए' बाहि ५. आचार्योपाध्यायः बहिः उपाश्रयस्य उवस्सयस्स एगरातं वा दुरातं वा एकरात्रं वा द्विरात्रं वा (एककः?) (एगओ ?) वसमाणे णाति- वसन् नातिक्रामति । क्कमति। ६. उवकरणातिसेसे।
६. उपकरणातिशेषः। ७. भत्तपाणातिसेसे।
७. भक्तपानातिशेषः।
४. आचार्य और उपाध्याय उपाश्रय के भीतर एक रात या दो रात तक अकेले रहते हुए आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करते। ५. आचार्य और उपाध्याय उपाश्रय के बाहर एक रात या दो रात तक अकेले रहते हुए आज्ञा का अतिक्रमण नहीं करते। ६. उपकरण की विशेषता...-उज्ज्वल वस्त्र धारण करना। ७. भक्त-पान की विशेषता-स्थिरबुद्धि के लिए उपयुक्त मृदु-स्निग्ध भोजन करना।
संयम-असंयम-पद ८२. संयम के सात प्रकार है
१. पृथ्वीकायिक संयम। २. अप्कायिक संयम। ३. तेजस्कायिक संयम। ४. वायुकायिक संयम। ५. वनस्पतिकायिक संयम । ६. वसका यिक संयम। ७. अजीवकायिक संयम - अजीव वस्तुओं
के ग्रहण और उपभोग की विरति करना। ८३. असंयम के सात प्रकार हैं
संजम-असंजम-पदं संयम-असंयम-पदम् ८२. सत्तावध सजमे पण्णत्त, त जहा- सप्तविधः संयमः प्रज्ञप्तः, तदयथा पुढविकाइयसंजमे,
पृथिवीकायिकसंयमः, 'आउकाइयसंजमे,
अपकायिकसंयमः, तेउकाइयसंजमे, वाउकाइयसंजमे, तेजस्कायिकसंयमः, वायूकायिकसंयमः, वणस्सइकाइयसंजमे,
वनस्पतिकायिकसंयमः, तसकाइयसंजमे,
प्रसकायिकसंयमः, अजीवकाइयसंजमे।
अजीवकायिकसंयमः।
सप्तविधः असंयमः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-
८३. सत्तविधे असंजमे पण्णत्ते, तं
जहापुढविकाइयअसंजमे, •आउकाइयअसंजमे, तेउकाइयअसंजमे, वाउकाइयअसंजमे, वणस्सइकाइयअसंजमे, तसकाइयअसंजमे, अजीवकाइयअसंजमे।
पथिवीकायिकासंयमः, अप्कायिकासंयमः, तेजस्कायिकासंयमः, वायुकायिकासंयमः, वनस्पतिकायिकासंयम:, त्रसकायिकासंयमः, अजीवकायिकासंयमः।
१. पृथ्वीकायिक असंयम। २. अप्कायिक असंयम। ३. तेजस्कायिक असंयम। ४. वायुकायिक असंयम। ५. वनस्पतिकायिक असंयम। ६. सकायिक असंयम। ७. अजीवकायिक असंयम ।
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