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ठाणं (स्थान)
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स्थान ७ : सूत्र ५-६
और उद्भिज्ज-इन सातों योनियों में जाता है ।
पोतगत्ताए वा, 'जराउजत्ताए वा, वा जरायुजतया वा रसजतया वा रसजत्ताए वा, संसेयगत्ताए वा, संस्वेदजतया वा सम्मूच्छिमतया वा संमुच्छिमत्ताए वा , उब्भिगत्ताए उद्भिज्जतया वा गच्छेत् ।
वा गच्छेज्जा। ५. पोतगा सत्तगतिया सत्तागतिया पोतजाः सप्तगतिकाः सप्तागतिका: एवं एवं चेव। सत्तण्हवि गतिरागती चैव । सप्तानामपि गतिरागतिः भाणियन्वा जाव उभियत्ति। भणितव्या यावत् उदभिज्ज इति ।
५. पोतज जीवों की सात गति और सात
आगति होती है। इस प्रकार सभी योनि-संग्रहों की सातसात गति और सात-सात आगति होती
संगहट्ठाण-पदं संग्रहस्थान-पदम्
संग्रहस्थान-पद ६. आयरिय-उबज्झायस्स णं गणंसि आचार्योपाध्यायस्य गणे सप्त संग्रह- ६. आचार्य तथा उपाध्याय के लिए गण में सत्त संगहठाणा एण्णत्ता, तं स्थानानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा
सात संग्रह के हेतु हैंजहा१. आयरिय-उवन्झाए णं गणंसि १. आचार्योपाध्यायः गणे आज्ञां वा धारणां १. आचार्य तथा उपाध्याय गण में आज्ञा आणं वा धारणं वा सम्मं पउंजित्ता वा सम्यक प्रयोक्ता भवति ।
व धारणा का सम्यक् प्रयोग करें। भवति । २. आयरिय-उवज्झाए णं २. आचार्योपाध्यायः गणे यथारात्नि- २. आचार्य तथा उपाध्याय गण में यथागणंसि आधारातिणियाए किति- कतया कृतिकर्म सम्यक् प्रयोक्ता भवति । रानिक-बड़े-छोटे के क्रम से कृतिकर्म कम्म सम्म पउंजित्ता भवति।
[वन्दना] का सम्यक् प्रयोग करें। ३. आयरिय-उवज्झाए णं गणसि ३. आचार्योपाध्यायः गणे यानि सूत्र- ३. आचार्य तथा उपाध्याय जिन-जिन सूत्रजे सूतपज्जवजाते धारेतिते काले- पर्यवजातानिधारयति तानि काले-काले
पर्यवजातों को धारण करते हैं, उनकी काले सम्मभणुप्पवाइसा भवति। सम्यग् अनुप्रवाचयिता भवति। उचित समय पर गण को सम्यक वाचना दें। ४. आयरिय-उवज्झाए णं गणंसि ४. आचार्योपाध्यायः गणे ग्लानशैक्ष- ४. आचार्य तथा उपाध्याय गण के ग्लान गिलाणसेहवेयावच्चं सम्ममभुट्टित्ता वैयावृत्यं सम्यग् अभ्युत्थाता भवति ।
तथा नवदीक्षित साधुओं की यथोचित भवति।
सेवा के लिए सतत जागरूक रहें। ५. आयरिय-उवज्झाए णं गणंसि ५. आचार्योपाध्यायः गणे आपृच्छ्यचारी ५. आचार्य तथा उपाध्याय गण को पुछआपुच्छियचारी यावि भवति, णो चापि भवति, नो अनापृच्छ्यचारी। कर अन्य प्रदेश में विहार करें, उसे पूछे अणाणुपुच्छियचारी॥
बिना विहार न करें। ६. आयरिय-उवझाए णं गणंसि ६. आचार्योपाध्यायः गणे अनुत्पन्नानि ६. आचार्य तथा उपाध्याय गण के लिए अणुप्पण्णाइं उवगरणाई सम्मं उपकरणानि सम्यग् उत्पादयिता भवति। अनुपलब्ध उपकरणों को यथाविधि उपउप्पाइत्ता भवति।
लब्ध करें।
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