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ठाणं (स्थान)
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स्थान ६ : सूत्र ११२-११८ विरहिय-पदं विरहित-पदम्
विरहित-पद ११२. चमरचंचा णं रायहाणी उक्कोसेणं चमरचञ्चा राजधानी उत्कर्षेण ११२. चमरचञ्चा राजधानी में उत्कृष्टरूप से छम्मासा विरहिया उववातेणं । षण्मासान् विरहिता उपपातेन ।
नेता
छह महीनों तक उपपात का विरह
[व्यवधान हो सकता है। ११३. एगमेगे णं इंददाणे उक्कोसेणं एकैकं इन्द्रस्थानं उत्कर्षेण षण्मासान् ११३. प्रत्येक इन्द्र के स्थान में उत्कृष्टरूप से छम्मासे विरहिते उववातेणं । विरहितं उपपातेन।
छह महीनों तक उपपात का विरह हो
सकता है। ११४. अधोसत्तमा णं पुढवी उक्कोसेणं अधःसप्तमा पृथिवी उत्कर्षेण षण्मासान् ११४. निचली सातवीं पृथ्वी में उत्कृष्ट रूप से छम्मासा विरहिता उववातेणं। विरहिता उपपातेन ।
छह महीनों तक उपपात का विरह हो
सकता है। ११५. सिद्धिगती णं उक्कोसेणं छम्मासा सिद्धिगतिः उत्कर्षेण षणमासान ११५. सिद्धिगति में उत्कृष्टरूप से छह महीनों विरहिता उववातेणं । विरहिता उपपातेन।
तक उपपात का विरह हो सकता है।
आउयबंध-पदं आयुर्बन्ध-पदम्
आयुर्बन्ध-पद ११६. छविधे आउयबंधे पण्णत्ते, तं षड्विधः आयुर्बन्धः प्रज्ञप्तः, तद्यथा- ११६. आयुष्य का बंध छह प्रकार का होता है"
जहाजातिणामणिधत्ताउए, जातिनामनिधत्तायुः,
१. जातिनामनिषिक्तायु, गतिणामणिधत्ताउए, गतिनामनिधत्तायुः,
२. गतिनामनिषिक्तायु, ठितिणामणिधत्ताउए, स्थितिनामनिधत्तायुः,
३. स्थितिनामनिषिक्तायु, ओगाहणाणामणिधत्ताउए, अवगाहनानामनिधत्तायुः,
४. अवगाहनानामनिषिक्तायु, पएसणामणिधत्ताउए, प्रदेशनामनिधत्तायु:,
५. प्रदेशनामनिषिक्तायु, अणभागणामणिधत्ताउए। अनुभागनामनिधत्तायुः।
६. अनुभागनामनिषिक्तायु। ११७. गैरइयाणं छविहे आउयबंभे नैरयिकाणां षड्विधः आयुर्बन्धः प्रज्ञप्तः, ११७. नैरयिकों के आयुष्य का बंध छह प्रकार पण्णत्ते, तं जहातद्यथा
का होता हैजातिणामणिहत्ताउए, जातिनामनिधत्तायुः,
१. जातिनामनिषिक्तायु,
२. गतिनामनिषिक्तायु, गतिनामनिधत्तायु:, 'गतिणामणिहत्ताउए, स्थितिनामनिधत्तायु:,
३. स्थितिनामनिषिक्तायु, ठितिणामणिहत्ताउए, अवगाहनानामनिधत्तायुः,
४. अवगाहनानामनिषिक्तायु, ओगाहणाणामणिहत्ताउए, प्रदेशनामनिधत्तायु:,
५. प्रदेशनामनिषिक्ताय, पएसणामणिहत्ताउए, अनुभागनामनिधत्तायुः।
६. अनुभागनामनिषिक्तायु। अणुभागणामणिहत्ताउए। ११८. एवं जाव वेमाणियाणं। एवं यावत् वैमानिकानाम्।
११८. इसी प्रकार वैमानिक तक के सभी दण्डकों
के जीवों में आयुष्य का बंध छह प्रकार का होता है।
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