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________________ ठाणं (स्थान) ६७६ विस- परिणाम-पदं विष- परिणाम-पदम् विष परिणाम- पद ११०. छविहे विसपरिणामे पण्णसे, तं षड्विधः विषपरिणामः प्रज्ञप्तः, ११०. विष का परिणाम छह प्रकार का होता है— १. दष्ट- किसी विषैले प्राणी द्वारा काटे जाने पर प्रभाव डालने वाला । २. भुक्त - खाए जाने पर प्रभाव डालने वाला । ३. निपतित-शरीर के बाहरी भाग से स्पृष्ट होकर प्रभाव डालने वाला - त्वग्विष, दृष्टिविष आदि । ४. मांसानुसारी-मांस तक की धातुओं को प्रभावित करने वाला । तद्यथा जहा - क्के, भुत्ते, णिवतिते, मंसाणुसारी, दष्टं भुक्तं, निपतितं, मांसानुसारि, सोणितानुसारी, अमाणुसारी | शोणितानुसारि, अस्थिमज्जानुसारि । पटु-पदं १११. छ बिहे पट्ट पण्णत्ते, तं जहासंस्यपट्टे, बुग्गहपट्ट, अणुजोगी, अणुलोमे, तहणाणे, अतहणाणे । Jain Education International पृष्ट-पदम् षड्विधं पृष्टं प्रज्ञप्तम्, तद्यथासंशयपृष्टं व्युद्ग्रहपृष्टं, अनुयोगिः, अनुलोमं, तथाज्ञानं, अतथाज्ञानम् । स्थान ६ : सूत्र ११०-१११ For Private & Personal Use Only ५. शोणितानुसारी - रक्त तक की धातुओं को प्रभावित करने वाला । ६. अस्थिमज्जानुसारी- अस्थि मज्जा तक की धातुओं को प्रभावित करने वाला । पृष्ट-पद १११. प्रश्न छह प्रकार के होते हैं- १. संशयप्रश्न – संशय मिटाने के लिए पूछा जाने वाला । २. व्युद्ग्रहप्रश्न – मिथ्या अभिनिवेश से दूसरे को पराजित करने के लिए पूछा जाने वाला । ३. अनुयोगी व्याख्या के लिए पूछा जाने वाला । ४. अनुलोम – कुशलकामना से पूछा जाने वाला | ५. तथाज्ञान --- स्वयं जानते हुए भी दूसरों की ज्ञानवृद्धि के लिए पूछा जाने वाला । ६. अतथाज्ञान – स्वयं न जानने की स्थिति पूछा जाने वाला । www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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