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ठाणं (स्थान)
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विस- परिणाम-पदं
विष- परिणाम-पदम्
विष परिणाम- पद
११०. छविहे विसपरिणामे पण्णसे, तं षड्विधः विषपरिणामः प्रज्ञप्तः, ११०. विष का परिणाम छह प्रकार का होता
है—
१. दष्ट- किसी विषैले प्राणी द्वारा काटे जाने पर प्रभाव डालने वाला ।
२. भुक्त - खाए जाने पर प्रभाव डालने
वाला ।
३. निपतित-शरीर के बाहरी भाग से स्पृष्ट होकर प्रभाव डालने वाला - त्वग्विष, दृष्टिविष आदि ।
४. मांसानुसारी-मांस तक की धातुओं को प्रभावित करने वाला ।
तद्यथा
जहा - क्के, भुत्ते, णिवतिते, मंसाणुसारी, दष्टं भुक्तं, निपतितं, मांसानुसारि, सोणितानुसारी, अमाणुसारी | शोणितानुसारि, अस्थिमज्जानुसारि ।
पटु-पदं १११. छ बिहे पट्ट पण्णत्ते, तं जहासंस्यपट्टे, बुग्गहपट्ट, अणुजोगी, अणुलोमे, तहणाणे, अतहणाणे ।
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पृष्ट-पदम् षड्विधं पृष्टं प्रज्ञप्तम्, तद्यथासंशयपृष्टं व्युद्ग्रहपृष्टं, अनुयोगिः, अनुलोमं, तथाज्ञानं, अतथाज्ञानम् ।
स्थान ६ : सूत्र ११०-१११
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५. शोणितानुसारी - रक्त तक की धातुओं
को प्रभावित करने वाला ।
६. अस्थिमज्जानुसारी- अस्थि मज्जा
तक की धातुओं को प्रभावित करने
वाला ।
पृष्ट-पद
१११. प्रश्न छह प्रकार के होते हैं-
१. संशयप्रश्न – संशय मिटाने के लिए पूछा जाने वाला ।
२. व्युद्ग्रहप्रश्न – मिथ्या अभिनिवेश से दूसरे को पराजित करने के लिए पूछा जाने वाला ।
३. अनुयोगी व्याख्या के लिए पूछा जाने वाला ।
४. अनुलोम – कुशलकामना से पूछा जाने
वाला |
५. तथाज्ञान --- स्वयं जानते हुए भी दूसरों
की ज्ञानवृद्धि के लिए पूछा जाने वाला ।
६. अतथाज्ञान – स्वयं न जानने की स्थिति पूछा जाने वाला ।
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