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________________ ठाणं (स्थान) जाव पुक्खरवर दीवद्धपच्चत्थिमद्धे यावत् पुष्करवरद्वीपार्धपाश्चात्यार्धे भाणितव्वं । भणितव्यम् । उउ-पदं ६५. छ उदू पण्णत्ता, तं जहापाउसे, वरिसारते, सरए, हेमंते, वसंते, गिम्हे । ओमरत्त-पदं ६. छ ओमरत्ता पण्णत्ता, तं जहाततिए पब्वे, सत्तमे पव्वे, एक्कारसमे पव्वे, पण्णरसमे पव्वे, एगूणवीस इमे पव्वे, तेवीस इमे पव्वे । अतिरक्त पदं ६७. छ अतिरित्ता पण्णत्ता, तं जहा-उत्थे पव्वे, असे पव्वे, दुवालसमे पव्वे, सोलसमे पव्वे, वीस मे पव्ये, चवीस मे पव्वे । अत्थोग्गह-पदं ६८. आभिणिबोहियणाणस्स णं छव्विहे अत्थोग्गहे पण्णत्ते, तं जहा Jain Education International ६७५ ऋतु - पदम् षड् ऋतवः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाप्रावृड्, वर्षारात्रः, शरद्, हेमन्तः वसन्तः, ग्रीष्मः । -| अवमरात्र-पदम् षड् अवमरात्राः प्रज्ञप्ताः, तद्यथातृतीयं पर्व, सप्तमं पर्व, एकादशं पर्व, पञ्चदशं पर्व, एकोनविंशतितमं पर्व, त्रिविशतितमं पर्व | अतिरात्र-पदम् षड् अतिरात्राः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा— चतुर्थं पर्व, अष्टमं पर्व, द्वादशं पर्व, षोडशं पर्व, विंशतितमं पर्व, चतुर्विंशतितमं पर्व । अर्थावग्रह-पदम् आभिनिबोधिकज्ञानस्य षड्विधः अर्थावग्रहः प्रज्ञप्तः, तद्यथा For Private & Personal Use Only स्थान ६ : सूत्र ५-६८ इसी प्रकार धातकीपण्ड द्वीप के पश्चिमार्ध, पुष्करवरद्वीपा के पूर्वार्ध और पश्चिमार्ध में जानना चाहिए। ऋतु-पद ६५. ऋतुएं छह हैं" १. प्रावृट् आषाढ और श्रावण, २. वर्षा - भाद्रपद और आश्विन, ३. शरद् कार्तिक और मृगशिर, ४. हेमन्त पौष और माघ, ५. वसन्त -- फाल्गुन और चैत्र, ६. ग्रीष्म वैशाख और ज्येष्ठ । अवसरात्र - पद ९६. छह अवमरात [ तिथिक्षय ] होते हैं१. तीसरे पर्व- आषाढ- कृष्णपक्ष में, २. सातवें पर्व भाद्रपद कृष्णपक्ष में, ३. ग्यारहवें पर्व कार्तिक कृष्णपक्ष में, ४. पन्द्रहवें पर्व पौष कृष्णपक्ष में, ५. उन्नीसवें पर्व - फाल्गुन-कृष्णपक्ष में, ६. तेईसवें पर्व – वैसाख कृष्णपक्ष में । अतिरात्र - पद ६७. छह अतिरात्र [तिथिवृद्धि ] होते हैं - १. चौथे पर्व – आषाढ शुक्लपक्ष में, २. आठवें पर्व - भाद्रपद शुक्लपक्ष में, ३. बारहवें पर्व - कार्तिक शुक्लपक्ष में, ४. सोलहवें पर्व - पौष शुक्लपक्ष में, ५. बीसवें पर्व - फाल्गुन शुक्लपक्ष में, ६. चौबीसवें पर्व - वैसाख-शुक्लपक्ष में, अर्थावग्रह-पद ६८. आभिनिबोधिक ज्ञान का अर्थविग्रह छह प्रकार का होता है - www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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