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ठाणं (स्थान)
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स्थान ६: सूत्र८६-६४
तं जहा.
पता,
णदो-पदं नदी-पदम्
नदी-पद ८६. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वोपे मन्दरस्य पर्वतस्य दक्षिणे ८६. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के दक्षिण
दाहिणेणं छ महाणदीओ पण्णत्ताओ, षड् महानद्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- भाग में छह महानदियां हैं--- तं जहागंगा, सिंधू, रोहिया, रोहितंसा, गङ्गा, सिन्धुः, रोहिता, रोहितांशा, १. गंगा, २. सिन्धु, ३. रोहिता, हरी, हरिकता। हरित्, हरिकान्ता।
४. रोहितांशा, ५. हरि, ६. हरिकांता। ६०. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य उत्तरे ६०. जम्बुद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के उत्तरउत्तरे णं छ महाणदीओ पण्णत्ताओ, षड् महानद्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- भाग में छह महानदियां हैं
१. नरकांता, २. नारीकांता णरकता, णारिकता, सवण्णकला, नरकान्ता. नारीकान्ता. स्वर्णकला. ३. सुवर्णकूला, ४. रूप्यकूला, रुप्पकूला, रत्ता, रत्तवती। रूप्यकूला, रक्ता, रक्तवती।
५. रक्ता, ६. रक्तवती। ६१. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य पूर्व- ६१. जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर पर्वत के पूर्वभाग
पुरस्थिमेणं सीताए महाणदीए स्मिन् शीतायाः महानद्याः उभयकूले में सीता महानदी के दोनों किनारों में उभयकले छ अंतरणदीओ षड् अन्तर्नद्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- मिलने वाली छह अन्तर्नदियां हैं--- पण्णत्ताओ, तं जहा...
१. ग्राहवती, २. द्रहवती, ३. पंकवती, गाहावती, रहवती, पंकवती, ग्राहवती, द्रवती, पङ्कवती, ४. तप्तजला, ५. मत्तजला,
तत्तयला, मत्तयला, उम्मत्तयला। तप्तजला, मत्तजला, उन्मत्तजला । ६. उन्मत्तजला। ६२. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य ६२. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत से पश्चिम
पच्चत्थिमेणं सीतोदाए महाणदीए पश्चिमे शीतोदायाः महानद्या: उभयकले भाग में सीतोदा महानदी के दोनों किनारों उभयकले छ अंतरणदीओ षड् अन्तर्नद्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा
में मिलने वाली छह अन्तर्नदियां हैंपग्णत्ताओ, तं जहाखीरोदा, सीहसोता, अंतोवाहिणी, क्षीरोदा, सिंहस्रोताः, अन्तर्वाहिनी, १.क्षीरोदा, २. सिंहस्रोता, उम्मिमालिणी, फेणमालिणी, उर्मिमालिनी, फेनमालिनी, ३. अन्तर्वाहिनी, ४. उमिमालिनी, गंभीरमालिणी। गम्भीरमालिनी।
५. फेनमालिनी, ६. गम्भीरमालिनी। धायइसंड-पुक्खरवर-पदं धातकीषण्ड-पुष्करवर-पदम् धातकीषण्ड-पुष्करवर-पद ६३. धायइसंडदीवपुरथिमद्धे णं छ धातकीषण्डद्वीपपौरस्त्यार्धे षड् अकर्म- ६३. धातकीषण्ड द्वीप के पूर्वार्ध में छह अकर्मअकम्मभूमीओ पण्णत्ताओ, तं भूम्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा
भुमियां हैं-- जहा..हेमवए, 'हेरण्णवते, हरिवस्से, हैमवतं, हैरण्यवतं, हरिवर्ष, १. हैमवत, २. हैरण्यवत, ३. हरिवर्ष,
रम्मगवासे, देवकुरा, उत्तरकुरा। रम्यकवर्ष, देवकुरुः, उत्तरकुरुः । ४. रम्यकवर्ष, ५. देवकुरु, ६. उत्तरकुरु । १४. एवं जहा जंबुद्दीवे दीवे जाव एवं यथा जम्बुद्वीपे द्वीपे यावत् ६४. इसी प्रकार जम्बूद्वीप द्वीप में जैसे वर्ष,
वर्षधर आदि से अन्तर्-नदी तक का वर्णन अंतरणदीओ अन्तर्नद्यः
किया गया है, वैसे ही यहां जानना चाहिए।
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