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ठाणं (स्थान)
खिमोहिति, बहुमोगिण्हति क्षिप्रमवगृह्णाति बहुगृह्णाति बहुविधमोहित, धुवमोगिण्हति, बहुविधमवगृह्णाति ध्रुवमवगृह्णाति अणि सियोगिहति अनिश्रितमवगृह्णाति असंदिद्धमोगिण्हति । असंदिग्धमवगृह्णाति ।
जहा
६२. छविबहा ईहामती पण्णत्ता, तं षड्विधा ईहामतिः प्रज्ञप्ता, तद्यथाक्षिप्रमीहते, बहुमीहते, बहुविधमीहते, ध्रुवमीहते, अनिश्रितमीहते, असंदिग्धमीहते ।
खिमीहति, बहुमीहति, "बहुविधमीहति, धुवमीहति, अस्सिमहति
असंदिद्धमीहति ।
६३. छविधा अवायमती पण्णत्ता, तं षड्विधा अवायमतिः प्रज्ञप्ता,
जहा -
तद्यथा
खपवेति बहुमवेति,
क्षिप्रमवैति बहुमत,
बहुविधमवेति धुवमवेति
बहुविधमवैति ध्रुवमवैति,
अणिस्सियमवेति असंदिद्धमवेति । अनिश्रितमवैति असंदिग्धमवैति ।
६६८
६४. छविधा धारण [मती ? ] पण्णत्ता, षड्विधा धारणा ( मति: ? ) प्रज्ञप्ता,
तं जहा
तद्यथा
बहुं धरेति, बहुविहं धरेति, पोराणं धरेति, दुद्धरं धरेति, अणिस्सितं
धरेति ।
धरेति, असंदिद्धं
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बहुं धरति, बहुविधं धरति, पुराणं धरति, दुर्धरं धरति, अनिश्रितं धरति, असंदिग्धं धरति ।
तव पदं
तपः-पदम्
६५. छविहे बाहिरए तवे पण्णत्ते, तं षड्विधं बाह्यकं तपः
जहा --
तद्यथा—
प्रज्ञप्तम्,
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स्थान ६ : सूत्र ६२-६५
१. शीघ्र ग्रहण करना,
२. बहुत ग्रहण करना,
३. बहुत प्रकार की वस्तुओं को ग्रहण करना
४. ध्रुव [निश्चल ] ग्रहण करना,
५. अनिश्रित अनुमान आदि का सहारा
लिए बिना ग्रहण करना,
६. असंदिग्ध ग्रहण करना ।
६२. ईहामति [ अवग्रह के द्वारा ज्ञात विषय की जिज्ञासा] के छह प्रकार हैं".
१. शीघ्र ईहा करना, २ . बहुत ईहा करना, ३. बहुत प्रकार की वस्तुओं की ईहा करना, ४. ध्रुव ईहा करना, ५. अनिश्रित ईहा करना, ६ . असंदिग्ध करना ।
६३. अवायमति [ ईहा के द्वारा ज्ञात विषय का निर्णय ] के छह प्रकार हैं
१. शीघ्र अवाय करना,
२. बहुत अवाय करना,
३. बहुत प्रकारकी वस्तुओं का अवाय करना,
४. ध्रुव अवाय करना,
५. अनिश्रित अवाय करना,
६. असंदिग्ध अवाय करना ।
६४. धारणामति [ निर्णीत विषय को स्थिर
करने ] के छह प्रकार हैं" -
१. बहुत धारणा करना,
२. बहुत प्रकार की वस्तुओं की धारणा करना, ३ . पुराने की धारणा करना, ४. दुर्द्धर की धारणा करना,
५. अनिश्रित धारणा करना,
६. असंदिग्ध धारणा करना।
तपः-पद
६५. बाह्य तप के छह प्रकार हैं
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