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________________ ठाणं (स्थान) स्थान ५ : सूत्र २२२-२२४ पडिक्कमण-पदं प्रतिक्रमण-पदम् २२२. पंचविहे पडिक्कमणे पण्णत्ते, तं पञ्चविधं प्रतिक्रमणं जहा तद्यथाआसवदारपडिक्कमणे, आश्रवद्वारप्रतिक्रमणं, मिच्छत्तपडिक्कमणे, मिथ्यात्वप्रतिक्रमणं, कसायपडिक्कमणे, कषायप्रतिक्रमणं, जोगपडिक्कमणे, योगप्रतिक्रमणं, भावपडिक्कमणे। भावप्रतिक्रमणम् । प्रतिक्रमण-पद प्रज्ञप्तम्, २२२. प्रतिक्रमण१२२ पांच प्रकार का होता है - १. आश्रवद्वारप्रतिक्रमण, २. मिथ्यात्वप्रतिक्रमण, ३. कषायप्रतिक्रमण, ४. योगप्रतिक्रमण, ५. भावप्रतिक्रमण। सुत्त-पदं सूत्र-पदम् सूत्र-पद २२३. पंचहि ठाणेहि सुत्तं वाएज्जा, तं पञ्चभिः स्थानैः सूत्र वाचयेत्, २२३. पांच कारणों से सूत्रों का अध्यापन कराना तद्यथा चाहिए-- संगहट्टयाए, उवग्गहट्टयाए, संग्रहार्थाय, उपग्रहार्थाय, १. संग्रह के लिए-शिष्यों को श्रुत-सम्पन्न णिज्जरट्ठयाए, निर्जराय, करने के लिए। सुत्ते वा मे पज्जवयाते भविस्सति, सूत्रं वा मम पर्यवजातं भविष्यति, २. उपग्रह के लिए-भक्त, पान व उपसुत्तस्स वा अवोच्छित्तिणयट्टयाए। सूत्रस्य वा अव्यवच्छित्तिनयार्थाय । करणों की विधिवत् उपलब्धि कर सके, वैसी क्षमता उत्पन्न करने के लिए। ३. निर्जरा के लिए---कर्म-क्षय के लिए। ४. अध्यापन से मेरा श्रुत पर्यवजातपरिस्फुट होगा, इसलिए। ५. श्रुतपरम्परा को अव्यवच्छिन्न रखने के लिए। २२४. पंचहि ठाणेहि सुत्तं सिक्खेज्जा, तं पञ्चभिः स्थानः सूत्रं शिक्षेत्, २२४. पांच कारणों से श्रुा का अध्ययन करता जहातदयथा चाहिएणाणट्टयाए, दंसणट्ठयाए, ज्ञानार्थाय, दर्शनार्थाय, चरितार्थाय, १. ज्ञान के लिए अभिनव तत्त्वों की चरित्तट्ठयाए, वुग्गह विमोयणट्ठयाए। व्युद्ग्रहविमोचनाय, उपलब्धि के लिए। अहत्थे वा भावे जाणिस्सामी- यथार्था (स्था)न् वा भावान् २. दर्शन के लिए श्रद्धा की पुष्टि के तिकटट। ज्ञास्यामीतिकृत्वा। लिए। ३. चरित्न के लिए-आचार-विशुद्धि के लिए। ४. व्युद्ग्रह विमोचन के लिए दूसरों को मिथ्या अभिनिवेश से मुक्त करने के लिए। ५. मैं यथार्थ भावों को जानूंगा, इसलिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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