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ठाणं (स्थान)
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स्थान ५ : सूत्र २१५-२१७
है--
छेयण-पदं छेदन-पदम्
छेदन-पद २१५. पंचविहे छेयणे पण्णत्ते, तं जहा- पञ्चविधं छेदनं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा- २१५. छेदन [विभाग] पांच प्रकार का होता
उप्पाछेयणे, वियच्छेयणे, उत्पादच्छेदन, व्ययच्छेदनं, बंधच्छेयणे, पएसच्छेयणे, बन्धच्छेदनं, प्रदेशच्छेदनं,
१. उत्पादछेदन-उत्पादपर्याय के आधार दोधारच्छेयणे। द्विधाच्छेदनम् ।
पर विभाग करना, २. व्ययछेदन-विनाशपर्याय के आधार पर विभाग करना, ३. बंधछेदन-सम्बन्ध-विच्छेद, ४. प्रदेशछेदन---अविभक्त वस्तु के प्रदेशों [अवयवों का बुद्धि कल्पित विभाग।
५. द्विधारछेदन-दो टुकड़े। आणंतरिय-पदं आनन्तर्य-पदम्
आनन्तर्य-पद २१६. पंचविहे आणंतरिए पण्णत्ते, तं पञ्चविधं आनन्तर्य प्रज्ञप्तम्, २१३. आनन्तर्य [सातत्य] पांच प्रकार का जहातद्यथा
होता हैउप्पायाणंतरिए, वियाणंतरिए, उत्पादानन्तयं, व्ययानन्तर्य,
१. उत्पादआनन्तर्य-उत्पाद का अविरह, पएसाणंतरिए, समयाणंतरिए, प्रदेशानन्तर्य, समयानन्तर्य,
२. व्ययआनन्तर्य-विनाश का अविरह, सामण्णाणंतरिए। सामान्यानन्तर्यम्।
३. प्रदेशआनन्तर्य-प्रदेशों की संलग्नता, ४. समयआनन्तर्य-समय की संलग्नता, ५. सामान्यआनन्तर्य-जिसमें उत्पाद, व्यय आदि विशेष पर्यायों की विवक्षा न हो, वह आनन्तर्य।
अणंत-पदं अनन्त-पदम्
अनन्त-पद २१७. पंचविधे अणंतए पण्णत्ते, तं जहा- पञ्चविधं अनन्तकं प्रज्ञप्तम, तदयथा- २१७. अनन्तक पांच प्रकार का होता हैणामाणंतए, ठवणाणतए, नामानन्तक, स्थापनानन्तक,
१. नामअनन्तक, २. स्थापनाअनन्तक, दवाणंतए, गणणाणंतए, द्रव्यानन्तक, गणनानन्तकं,
३. द्रव्यअनन्तक, ४. गणनाअनन्तक, पदेसाणंतए। प्रदेशानन्तकम् ।
५. प्रदेशअनन्तक। अहवा.-पंचविहे अणंतए पण्णत्ते, अथवा–पञ्चविधं अनन्तकं प्रज्ञप्तम्, अथवा-अनन्तक पांच प्रकार का होता
तद्यथाएगतोऽणतए, दुहओणतए, एकतोऽनन्तकं, द्विधाऽनन्तकं, १. एकतःअनन्तक, २.द्विधाअनन्तक, देस वित्थाराणंतए, देशविस्ताराऽनन्तक,
३. देशविस्तारअनन्तक, ४. सर्वविस्तार सम्ववित्थाराणंतए.सासयाणंतए। सर्व विस्ताराऽनन्तकं, शाश्वतानन्तकम । अनन्तक, ५. शाश्वत अनन्तक ।
तं जहा
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